जगदलपुर। एक दिवसीय दौरे पर बस्तर पहुंचे छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सरकार द्वारा दंतेवाड़ा में चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान पर सवाल खड़े किया है. इसके साथ ही उन्होंने बीते दिनों दंतेवाड़ा के पुलिस मेस में तथाकथित एक आत्मसमर्पित महिला नक्सली के खुदकुशी के मामले में जांच की मांग की है.

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने बस्तर दौरे के दौरान पत्रवार्ता में कहा कि दंतेवाड़ा में सरकार जो लोन वर्राटू (घर वापस आइए) आंदोलन चला रही है, वह दूसरा सलवा जुडूम सिद्ध होने जा रहा है. जबरदस्ती लोगों और बस्तर की निर्दोष बेटियों से खुद को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण करवाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जिसकी वजह से वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए है. आत्मसमर्पण होना चाहिए, लेकिन आत्महत्या की कीमत पर नहीं.

जोगी ने कहा कि बीते 23 फरवरी को बस्तर की एक बेटी पांडे कवासी ने पुलिस कस्टडी में खुदकुशी कर ली. मृतिका का परिवार सरकार से जानना चाहता है कि अगर उनकी बेटी ने खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या की है तो उसके गले में फांसी के फंदे का कोई निशान क्यों नही मिला. इस घटना में मृतिका की जीभ बाहर क्यों नही निकली हुई थी और आंखें क्यों पलटी हुई नहीं थी. इसके साथ ही अमित जोगी ने कहा कि मृतिका के परिवार वालों ने सरकार से सवाल किया है कि मृतिका के गुप्तांगों में सूजन के निशान क्यों दिखे है.

उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामले की विवेचना में मृतिका के परिवार को संलिप्त क्यों नही किया. मृतिका के शव का पोस्टमार्टम किन विषम परिस्थितियों में देर रात को किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मामलों में शव का पोस्टमार्टम नियमित कार्यालय समय के दौरान किया जाना चाहिए.

अमित जोगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पुलिस कस्टडी में अगर किसी की मौत होती है तो इसकी मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए. लेकिन घटना के 10 से 12 दिनों के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा इस मामले में ना ही कोई कमिटी बनाई गई है और ना ही किसी तरह की जांच शुरू हुई है. उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है.