रायपुर- डेढ़ दशक तक राज्य की सत्ता की बागडोर संभाल चुकी बीजेपी को विपक्ष में बैठने का एहसास प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने ही कराया. प्रभार मिलने के बाद से लेकर अब तक पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन के मैराथन दौरे ने ही विपक्ष के रूप में बीजेपी को खड़ा किया है, वरना भूपेश सरकार की सत्ता के दो साल बीत जाने के बाद भी राज्य में विपक्षी दल की सक्रियता पर सवाल उठ रहे थे.
नवंबर में प्रदेश प्रभारी की कमान मिलने के बाद से डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन लगभग हर महीने राज्य के दौरे पर रहे है. एक बार फिर 13-14 मार्च को प्रभारियों का दौरा हो रहा है. इस दौरान प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक के अलावा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी. सह प्रभारी नितिन नबीन 13 मार्च को रायपुर पहुंच रहे हैं. इसी दिन वह प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक लेंगे. वहीं अगले दिन 14 मार्च को राजधानी पहुंचने के बाद डी पुरंदेश्वरी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक लेंगी.
संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश प्रभारी संगठनात्मक गतिविधियों की रिपोर्ट लेंगी. साथ ही आगामी तीन महीनों की कार्ययोजना तैयार की जाएगी. सरकार के खिलाफ रणनीति लड़ाई से लेकर सड़क तक के आंदोलन को मजबूत किए जाने की दशा-दिशा तय की जाएगी.
डी पुरंदेश्वरी की सख्ती ने संगठन में फूंकी जान
संगठन के आला नेता बताते हैं कि डी पुरंदेश्वरी की बतौर प्रदेश प्रभारी ताजपोशी होने के बाद बीजेपी ने सरकार के खिलाफ बिगूल फूंका. उन मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक पार्टी हमलावर रही, जिनके बूते राज्य में खोई हुई जमीन को दोबारा तैयार किया जा सके.
गुटबाजी पर हो सकती है चर्चा
विधानसभा के हालिया बजट सत्र में बीजेपी विधायक दल के भीतर जिस तरह से गुटबाजी उभरकर सामने आई, इसे लेकर भी प्रदेश प्रभारी से चर्चा हो सकती है. संगठन की अगुवाई करने वाले नेता डी पुरंदेश्वरी से इन पहलूओं पर चर्चा कर सकते हैं. चर्चा कहती है कि सदन में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक सत्र चलाने के पक्ष में थे, लेकिन स्पीकर के बर्ताव से नाराज ज्यादाकर विधायकों ने सदन की कार्यवाही को बाधित करने की रणनीति पर काम किया. इस घटनाक्रम से यह संदेश बाहर आया कि बीजेपी में गुटबाजी हावी होने के चलते सत्र जल्दी खत्म हो गया. यही बयान सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दिया.