रायपुर। राजधानी के इंडोर स्टेडियम में चल रहे छत्तीसगढ़ साहित्य महोत्सव और 19वें राष्ट्रीय किताब मेले के सातवें दिन शुक्रवार को मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित नाटक बड़े भाई साहब का मंचन किया गया. नाटक का निर्देशन प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक डॉ. योगेंद्र चौबे ने किया.

नाटक शिक्षा प्रणाली पर करारा व्यंग है. साथ ही बड़े भाई की छोटे भाई के प्रति चिंता और जिम्मेदारी को भी बखूबी दिखने का प्रयास किया गया. नाटक में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के छात्रों ने अपने शानदार अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया. नाटक ने लोगों की जमकर तालियां बटोरी. नाटक में बड़े भाई की भूमिका धीरज सोनी, छोटे भाई की भूमिका घनश्याम साहू, कोरस में सोमनाथ साहू, रवि मालवीय, प्रशांत कुमार साहू, गणेश निषाद, सागर सारथी, त्रिलोक प्रजापति, सानिध्य चौबे रहे। वहीं संगीत पर परमानन्द पांडेय और हिंतेंद्र वर्मा रहे। मंच सज्जा तन्मय सिंह ने किया.

रेडियो की नौकरी मेरे लिए इबादत की तरह- ममता सिंह

रेडियो सखी नाम से मशहूर प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर ममता सिंह शुक्रवार को साहित्य महोत्सव में शामिल हुई. रेडियो और उनके जीवन को लेकर दूरदर्शन एंकर स्मिता शर्मा ने उनसे विस्तार से बातचीत की. इस दौरान ममता सिंह ने बताया उनके लेखन की शुरूआत रेडियों से ही हुई. उसके पहले वे केवल टूटी-फूटी कविताएं लिखती थी. आकशवाणी इलाहबाद के लिए पहली बार उन्होंने एक बोलती कहानी लिखी. इसका प्रसारण युववाणी में किया गया. यहीं से रेडियो का सफर शुरू हुआ. फिर आकशवाणी इलाहाबाद में ही अनाउंसर हो गई.

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इसके बाद वहां से मुम्बई चली गई. वहां पत्रकारिता शुरू की. ‘निर्भय प्रतीक’ में काम करते हुए ही विविध भारती में चयन हुआ. उसमें यूनुष खान का भी चयन हुआ था. दोनों की पहली बार मुलाकत हुई. प्यार पनपा और फिर दोनों ने शादी कर ली. चर्चित कहानी की किताब ‘राग मारवा’ पति के कहने पर ही लिखी है.

उन्होंने कहा कि वे लेखिका और उद्घोषिका दोनों की जिम्मेदारियां निभा रही हैं. रेडियो की नौकरी उनके लिए इबादत है. रेडियो की नौकरी मुश्किल तो है, लेकिन इसे करने में मजा भी बहुत आता है. रिडियो से समय निकाल कर कहानी लिखती हूं. इससे मुझे रेडियो के लेखन में भी मदद मिलती है. इस अवसर पर उन्होंने अपनी कहानी राग मारवा के अंश पढ़कर भी सुनाए.

आज के लेखकों के सामने ज्यादा चुनौतियां

कार्यक्रम में कहानीकार देवेंद्र के साथ कहानी पर बातचीत का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पाठकों का जीवन और पाठकों की भाषा ही कहानी को पाठकों से जोड़ती है. आईने में हम अपनी शक्ल को सबसे ज्यादा देखते हैं. लेकिन साहित्य में हम अपने संभावित को देखना चाहते हैं. अपने ओरिजनल को नहीं. प्रेमचंद के बाद कि कहानियों पर उन्होंने कहा कि प्रेमचन्द के बाद भी बहुत अच्छी कहानियां लिखी गई है. मुक्तिबोध, उदय प्रकाश जैसे लेखक अपने आसपास के हैं, जिन्होंने बहुत अच्छी कहानियां लिखी हैं. नई वाली हिंदी के लेखकों के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज के समय मे कुछ भी हो पाना बहुत मुशिकल है.

मुंशी प्रेमचन्द या उनके समय तक समय तक कहानीकार बनना उतना कठिन नहीं था, जितना आज है. इस समय ज्यादा चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को हमेशा संभावनों के तौर पर देखना चाहिए. साहित्य और बाजार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य में बाजार का हस्तक्षेप बढ़ा है. बाजार तय करता है कि कौन सा साहित्य पढ़ा जाएगा. मगर हर नई चीज को स्वीकार करना पड़ेगा.

कविता संग्रह ‘नवदीप’ का विमोचन

साहित्य महोत्सव के मंच से शुक्रवार को सामूहिक कविता संग्रह नवदीप का विमोचन किया गया. इसका संपादन सुमेधा अग्रश्री ने किया है. संग्रह में कुल 53 नए कवियों की कविताएं संग्रहित की गई हैं. सरस्वती प्रकाशन भिलाई ने संग्रह को प्रकाशित किया है. कार्यक्रम में रेडियो सखी ममता सिंह, कहानीकार देवेंद्र, वरिष्ठ साहित्यकार जया जादवानी, नागेंद्र दुबे आदि उपस्थित रहे.

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