लखनऊ। राजधानी में कोरोना संक्रमण केसों के बढ़ने की रफ्तार पिछले साल की तुलना में 6 गुना अधिक है. पहली लहर से तुलना करें तो इस बार लोग देर से ठीक हो रहे हैं.

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. लखनऊ में इस साल 5 मार्च को सबसे कम 7 मरीज मिले थे, जबकि 18 मार्च को ये बढ़कर 77 हो गए. 70 केसों का यह फासला महज 13 दिनों में तय हुआ है. पिछले साल 14 अप्रैल को लखनऊ में 8 पाजिटिव केस सामने आए थे. 4 जुलाई को यह आंकड़ा 78 तक पहुंच गया था. यानी 70 केसों का फासला तय करने में वायरस को 80 दिन लगे थे.

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यूपी की बात करें तो इस साल 3 मार्च को यूपी में सबसे कम 77 मरीज मिले थे, जबकि 18 मार्च को यह आंकड़ा 321 पर पहुंच गया. कुल 15 दिन में यह बढ़ोतरी हुई. पिछले साल 16 अप्रैल को 78 नए के केस सामने थे, 19 मई यह संख्या बढ़कर 322 हो गए थे. यह बढ़ोतरी 33 दिन में हुई दूसरी लहर की तुलना में यह अवधि दोगुनी है.

कोरोना जांच की बढ़ी रफ्तार

इस बार मरीजों की ज्यादा से ज्यादा जांच की जा रही है. पिछले साल अप्रैल में प्रतिदिन यूपी में तीन से चार हजार सैंपल लिए जाते थे. वहीं लखनऊ में तीन से चार सौ सैंपल लिए जाते थे. अब यूपी में रोजाना एक लाख से अधिक सैंपल रोज लिए जा रहे हैं, जबकि लखनऊ में छह से सात हजार सैंपल प्रतिदिन लिए जा रहे हैं.

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डीएम के सख्त निर्देश 

जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने शुक्रवार को निर्देश जारी किया है कि सभी प्रतिष्ठान और कार्यस्थलों पर आने वाले लोगों का नाम, पता और मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज कर लें. इससे संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी. इसका उल्लंघन दंडनीय अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.