लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 4 साल में 45.44 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 1,30,000 लाख करोड़ का भुगतान किया गया. योगी सरकार के फैसलों ने प्रदेश में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की सूरत बदल दी है. अब चीनी उद्योग को नई उड़ान मिली है. 3,868 लाख टन गन्ने की पेराई कर 427.30 लाख टन चीनी उत्पादन का रिकॉर्ड बना है. 25 सालों में पहली बार प्रदेश में कुल 264 खांडसारी लाइसेंस जारी किया गया है.
योगी सरकार का दावा है कि यह धनराशि बसपा सरकार से दोगुना और सपा सरकार के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक है. राज्य सरकार ने गन्ना किसानों की किस्मत भी बदल दी है. यूपी को देश में चीनी उत्पादन में नंबर वन बन गया है. राज्य सरकार ने तीन पेराई सत्रों एवं वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 समेत यूपी में कुल 3,868 लाख टन गन्ने की पेराई कर 427.30 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है. राज्य सरकार ने 45.44 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 1,30,000 करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया है.
वर्ष 2017-18 से 31 जनवरी, 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में कुल 261.72 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ है, जो कि एक रिकार्ड है. 243 नई खांडसारी इकाइयों के लिए लाइसेंस जारी किया गया. 25 सालों में पहली बार 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किए गए, जिनमें से 133 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं. इन इकाइयों में 273 करोड़ का पूंजी निवेश होने के साथ करीब 16,500 लोगों को रोजगार मिलेगा. 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना होने पर 50 हजार लोग रोजगार पाएंगे.
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पहले बकाया भुगतान के लिए गन्ना किसानों को दर दर भटकना पड़ता था. हालात से परेशान कई किसान गन्ना उत्पादन से तौबा कर बैठे थे, लेकिन योगी सरकार ने गन्ना मूल्य का ऐतिहासिक भुगतान कर किसानों को गन्ने की मिठास लौटा दी है. प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान एक भी चीनी मिल बंद नहीं हुई. सभी 119 चीनी मिलें चलीं और लॉक डाउन में भी 5954 करोड़ का भुगतान किया गया. प्रदेश में करीब 45.44 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान हैं और लगभग 67 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं. आज देश में 47 प्रतिशत चीनी का उत्पादन यूपी में हो रहा है और गन्ना सेक्टर का प्रदेश की जीडीपी में 8.45 प्रतिशत एवं कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20.18 प्रतिशत का योगदान है. पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद की गईं, जबकि योगी सरकार नें बीस बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर शुरू कराया. जिसके तहत पिपराइच-मुंडेरवा में नई चीनी मिलें लगाकर शुरू कराईं.
बंद पड़ी रमाला चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर उसे चलवाया गया. संभल और सहारनपुर की बंद चीनी मिल भी अब चलने लगी है. बागपत चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर कोजन प्लांट लगाया गया है. इसके अलावा 11 निजी मिलों की क्षमता भी बढ़वाई गई. करीब 8 साल से बंद वीनस, दया और वेव शुगर मिलें चलवाई गईं. सठियांव और नजीबाबाद सहकारी मिलों में एथनॉल प्लांट लगा.