टोमन लाल सिन्हा, मगरलोड। धमतरी जिले के मगरलोड ब्लाक के 40 किमी दुर वनांचल क्षेत्र अंतिम छोर मे बसे ग्राम मोहेरा में निरई माता का मंदिर दुर्गम पहाड़ियों में स्थित है. यह मंदिर साल में केवल एक बार चैत्र नवरात्रि में पड़ने वाले प्रथम रविवार के दिन कुछ घण्टों के लिये खुलता है। यहा पर माता की कोई मूर्ति विराजमान नहीं है बल्कि माता निराकार रूप में पत्थर की गुफा में विराजित है. जहां लाखों की संख्या में पुरुषों का मेला लगता है.

मान्यता है कि माताजी में भेंट चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है. तो वहीं कई लोग मन्नत पूरी होने पर अपनी भेंट प्रसाद चढ़ाते है. स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस दिन माता का दरबार खुलता है उस दिन को माता जात्रा के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन मन्नत पूरी होने पर लोग भेंट चढ़ाते है. जात्रा के दिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं. साथ ही मन्नत पूरी होने पर भेंटस्वरूप मन्नत में मांगी गयी वस्तु माता में चढ़ायी जाती है.

महिलाओं का प्रवेश निषेध

खास बात यह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश और उनका पूजा-पाठ करना करना निषेध है. पूजा की सारी रस्मे केवल पुरूष वर्ग के लोग ही निभाते है. महिलाओं को यहा का प्रसाद ग्रहण करना भी वर्जित है. कहा जाता है कि यदि कोई महिला जान बूझकर प्रसाद ले ले तो कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर हो जाती है.

अन्य मंदिरों की तुलना में यहां की एक और विशेष बात यह है कि जहा पूरे प्रदेश के अन्य मंदिर दिन भर खुले रहते है तो वही निरई माता का मंदिर सुबह 4 बजे लेकर 12 बजे तक यानि केवल 8 घण्टे ही माता के दर्शन के लिये खुला रहता है. निरई माता मंदिर के समीप लगे ग्राम मोहेरा के लोगों ने बताया कि जैसे ही नवरात्रि लगता है चाहे वह शारदीय नवरात्र हो या चैत्र नवरात्र उस दरम्यान पहाड़ी के ऊपर मंदिर में अपने आप ज्योत प्रज्वलित हो जाती है जो कि उनके गांव से ही शाम के समय किस्मत वालों को ही दिखाई देती है.

जो व्यक्ति भाग्यशाली होता है उसे ही यह ज्योति कलश के दर्शन होते है. हालांकि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते माता का दरबार बन्द रहेगा और भक्तो को दर्शन के लिये आने वाले वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा. यदि कोरोना का संकट नही होता तो रविवार को माता का दरबार खुला रहता.

मोहेरा सरपंच कुलेश्वर साहू ने बताया कि जिले में कोरोना संक्रमण व धारा 144 लागू होने के कारण इस वर्ष निरई माता जात्रा स्थगित किया गया है और जात्रा के दिन बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है.