रायपुर.शिक्षाकर्मी आंदोलन पर राज्य सरकार के रवैये की पूर्व भाजपा नेता वीरेन्द्र पांडेय ने कड़़ी आलोचना की है.पत्रकारों से बातचीत में वीरेन्द्र पांडेय ने कहा है कि राज्य सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे आंदोलन को दबाने के लिये तानाशाही रवैया अख्तियार कर लिया है,जिससे लगता है कि छत्तीसगढ़ में अघोषित आपातकाल की स्थिति बन गई है.उन्होनें कहा कि राज्य सरकार के इस रवैये के खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और इसके लिये उन्होनें वकीलों से बात कर ली है.
अपने निवास में पत्रकारों से बातचीत में वीरेन्द्र पांडेय ने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में संविलियन सहित शिक्षाकर्मियों की दूसरी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था,लेकिन अब लगता है कि सत्ता पाने के लिये भाजपा ने झूठ का सहारा लिया था .सरकार ने न सिर्फ वादाखिलाफी की,बल्कि शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मियों के प्रति सरकार दमनात्मक रवैया अख्तियार कर रही है.
उन्होनें कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने तो घोषित तौर पर आपातकाल लगा दिया था,लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार ने अघोषित आपातकाल लगा रखा है,जिससे पूरे प्रदेश में विस्फोटक स्थितियां पैदा हो रही है.उन्होनें कहा कि लोकतंत्र में जब आवाज दबाने की कोशिश की जाती है,तो नक्सलवाद और हिंसक परिस्थितियां निर्मित होने लगती है,जो हम सब किसी के लिये अच्छा नहीं होगा.वीरेन्द्र पांडेय ने कहा कि सरकार के इस रवैये के खिलाफ वो समाज के सभी वर्गों और बुद्धिजीवियों से बातचीत करेंगे और इसके जरिये सरकार पर दबाव बनायेंगे कि वो लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करे.उन्होनें कहा कि सरकार की वादाखिलाफी और दमनात्मक रवैये के खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेंगे,जिसके लिये उन्होनें वकीलों से बातचीत भी कर ली है.