रायपुर। रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना संक्रमित एक और मरीज की मौत हो गई है. दो दिन पहले भी एक कैदी की कोरोना से मौत हो गई थी. बताते हैं कि तमाम एहतियात के बावजूद कोरोना का संक्रमण जेल के भीतर दाखिल होने से नहीं रोका जा सका. इधर जेल डीआईजी के के गुप्ता क्वारंटाइन हैं.

दो कैदी की मौत, दहशत में बाकी कैदी

डिप्टी जेल सुप्रीटेंडेंट जी डी पटेल ने मौत की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि जिस कैदी की मौत हुई, उसे बलौदाबाजार से यहां इलाज के लिए लाया गया था. बीते तीन-चार दिनों से उसका इलाज चल रहा था. आज कैदी की मौत हो गई. इससे पहले जिस कैदी की मौत हुई, उसे भी बलौदाबाजार से इलाज के लिए लाया गया था. रायपुर सेंट्रल जेल के भीतर जेल अस्पताल में उसका उपचार किया जा रहा था. संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अम्बेडकर अस्पताल रिफर किया गया था, जहां उसकी मौत हुई थी. रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना से एक के बाद एक हुई दूसरी मौत से अन्य कैदियों में दहशत की स्थिति बन गई है.

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कई क़ैदियों के संक्रमित होने की खबर

जेल प्रशासन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जेल के भीतर कई और कैदी भी हैं, जो कोरोना संक्रमित हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि बाक़ी क़ैदियों को संक्रमण से कैसे बचाया जाएगा ? सवाल ये भी उठ रहा है कि जब जेल महज़ क़रीब 15 सौ क़ैदियों की क्षमता का है, तो फिर ऐसे में क़रीब तीन हज़ार क़ैदियों का कोरोना से बचाव सम्भव है ?

जेल में संक्रमण रोकने की जरूरत

संक्रमण का मामला सामने आने के बाद अपनी क्षमता से तीन गुना अधिक क़ैदियों का बोझ ढो रहे जेल में संक्रमण रोकने की पहल किए जाने की ज़रूरत है. क्योंकि पिछले बार कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जेलों में कैदियों की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया था. जिससे जेलों में बंद कैदियों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम किया जा सके.

हजारों की संख्या में कैदी हुए थे रिहा

बता दें कि पिछले साल मार्च के महीने में कोरोना के जब कम केस थे, उस समय कई जिलों से कैदियों को कुछ शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत और पैरोल पर छोड़ा गया था. छत्तीसगढ़ के कई जेलों से हजारों की संख्या में कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था. दिसंबर के महीने तक कैदियों को पैरोल पर बाहर रखा गया था. जिस कारण कुछ हद तक जेलों में संक्रमण फैलने से रोका जा सका था. इस बार भी कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की जरूरत है.

कब पैरोल पर छोड़े जाएंगे कैदी ?

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब जेल के बैरकों में जगह कम है, तो ज्यादा संख्या में कैदियों को क्यों रखा जा रहा है ? पिछले बार की तरह समय रहते सबक क्यों नहीं लिया जा रहा ? क्यों कैदियों को पैरोल पर रिहा नहीं किया जा रहा ? क्या जेल प्रशासन को जेल में कोरोना से तबाही का इंतजार है ? जबकि रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना से एक कैदी ने दम तोड़ दिया है. दो कैदी बीमार भी है. जेल में कैदी तो एक दूसरे के संपर्क में रहते ही है. जिस बैरक में एक कैदी कोरोना पॉजिटिव मिलता है, तो उस बैरक के पूरे कैदी संक्रमित हो सकते हैं ?

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