नई दिल्ली। निर्भया केस में चारों दोषियों की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि ये दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे.
जजों ने कहा कि जिस तरह इस घटना को अंजाम दिया गया, ऐसा लगता है कि यह दूसरी दुनिया की कहानी है. सेक्स और हिंसा की भूख के चलते इस तरह के जघन्यतम अपराध को अंजाम दिया गया. लिहाजा इस फैसले में अपराध की जघन्यता को तरजीह देते हुए इन दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है.
इस मामले में इन दोषियों की पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखती. इस तरह के मामलों में उम्र, बच्चे, बूढ़े मां बाप होने के आधार पर सजा में कटौती की मांग रियायत की कोई वजह नहीं हो सकती. इस तरह के अपराध की कोई और कसौटी नहीं हो सकती.
इस घटना ने समाज की चेतना को हिला दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के वक्त नाबालिग समेत सभी दोषी घटनास्थल पर मौजूद थे. दिल्ली पुलिस की जांच बिल्कुल सही थी. पीडि़ता के बयानों पर संदेह नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्हें फांसी बलात्कार के आरोप में नहीं, इनकी नृशंसता की वजह से पीड़िता की मौत हो जाने की वजह से दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक जांच और डीएनए सबूतों से भी पता चलता है कि अपराध को अंजाम दिया गया.