शरद पाठक, छिंदवाड़ा. जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर बार-बार आवाज उठ रही हैं परंतु प्रशासन व्यवस्थाओं को सुधारने के स्थान पर लीपापोती करके अस्पताल प्रबंधन की कमियों को छुपाने का प्रयास कर रहा है. जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों द्वारा लगातार अपनी हताशा वीडियो और ऑडियो मैसेज के माध्यम से सामने लाई जा रही है. लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने इस तरफ अपनी आँखें मूंद ली है.

इसी क्रम में छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती पत्रकार धनंजय बड़समुद्रकर ने वीडियो के माध्यम से अस्पताल की अव्यवस्थाओं को उजागर किया है. व्यवस्था नहीं सुधरने पर उन्होंने आमरण अनशन की चेतावनी दी है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि इलाज नहीं कर सकते तो अस्पताल प्रबंधन हाथ खड़ा कर दें, कहीं बाहर जाकर मर लेंगे.

यहां दो वक्त का भोजन करने नहीं बल्कि उपचार कराने आया हूं

उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय में कई दिनों से सारे बेड फुल चल रहे हैं और बड़ी संख्या में मरीज बाहर गैलरी में एवं अस्पताल के बरामदे में पड़े हुए हैं. जिन्हें इलाज भी नसीब नहीं हो रहा है, दूसरी ओर प्रशासन बढ़-चढ़कर दावे कर रहा है. साथ ही प्रशासन के पक्ष में मरीजों से बयान लेकर वीडियो भी वायरल कर रहा है. परंतु सच्चाई इसके विपरीत है. अस्पताल में स्टाफ का अभाव है. डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आते है. चंद पैरामेडिकल कर्मचारियों के भरोसे पूरा कोविड वार्ड चलाया रहा है. मुझे भर्ती हुए 14 दिन हो गए हैं किंतु एक्स-रे और सीटी स्कैन की रिपोर्ट आज तक नहीं दी गई है. लोग बाहर से खरीद कर इंजेक्शन लगा रहे हैं. मैं यहां दो वक्त का भोजन करने नहीं बल्कि उपचार कराने आया हूं. मै टैक्सपेयर और जागरूक नागरिक हूं इसलिए अपनी पीड़ा बता रहा हूं.

मौत हो जाने के घंटों बाद भी शव का हटाया नहीं जाता
उन्होंने कहा कि बदइंतजामी का आलम यह है कि मरीजों की मृत्यु हो जाने पर उन्हें घंटों वार्ड से हटाया तक नहीं जाता है. जिससे दूसरे मरीजों का आत्मबल टूटता है. इंजेक्शन लगाने एवं दवाइयां देने के लिए स्टाफ बार-बार बुलाने पर भी नहीं आते, जिसके कारण वहां बड़ी संख्या में मौत हो रही है. फिर भी लोग मजबूरीवश जिला अस्पताल में भर्ती होने के लिए बाध्य है. निजी अस्पतालों में जगह की कमी और इलाज बहुत मंहगा है इसलिए लोग सरकारी अस्पताल में भर्ती होते हैं.