रायपुर। कहते हैं भगवान कहीं और नहीं बल्कि इसी धरती पर ही है. वे किसी न किसी रूप में लोगों के सामने मदद के लिए आ जाते हैं. यह कहानी भी कुछ ऐसी है किसी की उखड़ती सांसों के बीच मदद के रूप में ऑक्सीजन सिलेण्डर मिल जाए. इलाज के लिए अस्पताल जाने तरसते किसी मरीज को एम्बुलेंस मिल जाए. गरीब, असहाय, बेबस और लाचार को अपने किसी परिजन के अंत्येष्टि के लिए लकड़ी की व्यवस्था न होने पर सूखी लकड़ी सहित अन्य मदद मिल जाए, तो निश्चित ही इससे बड़ा महान और पुण्य कार्य हो नहीं सकता. संकट के दौर में जरूरतमंदों को एम्बुलेंस, ऑक्सीजन सिलेण्डर, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, दवाइयां सहित राहत और मदद पहुंचाने वाली यह अमित नवरंगलाल और उसकी युवा टीम है बचपन से ही हंचबैक से पीड़ित व शारीरिक रूप से पूरी तरह समर्थ न होते हुए भी रात हो या दिन, कोरोनाकाल में मदद के लिए अमित की टीम बेबस और लाचार लोगों की सहायता के साथ दुख में आंसू पोछने का कार्य एक मिशन के रूप में अंजाम दे रही है.
यह कोरोनाकाल है और ज्यादातर जिलों में लॉकडाउन है. ऐसे में स्वाभाविक है कि महामारी के साथ बहुत लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है. कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच अपनों से लेकर कई रिश्तेदार भी मदद के लिए सामने नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में कोरबा जिले के युवा समाजसेवी अमित नवरंगलाल और उसकी युवा टीम अतिआवश्यक दवाइयों के साथ विषम परिस्थितियों में बेबस और लाचार लोगों की मदद में दिन-रात जुटे हैं. इन्होंने अपना नंबर सार्वजनिक करते हुए हर जरूरतमंदों को मदद करने का बीड़ा उठाया है.
पिता के राह में चल रहा बेटा
शहर में रहने वाले अमित नंवरगलाल अविभाजित मध्यप्रदेश के प्राख्यात कामरेड स्वर्गीय नवरंगलाल के बेटे हैं. मजदूरों, शोषितों की आवाज और समाजसेवी नवरंगलाल के पदचिन्हों पर चलने वाले अमित को जब आभास हुआ कि कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों की स्थिति खराब होती जा रही है. बहुत से लोग अस्पताल जाने के लिए एम्बुलेंस, सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और बेहतर इलाज के लिए सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं तो इनसे रहा नहीं गया उन्होंने ठान लिया कि जहां तक संभव होगा वे शासन-प्रशासन की तरह लोगों की मदद करेंगे उन्होंने अपने निजी वाहनों सहित अन्य वाहनों को लोगों के मदद के लिए तैयार कर युवा साथियों को इस महती अभियान से जोड़ा.
फर्ज हमारा है
अमित ने बताया कि कोरबा हमारा घर है और यहां के लोग हमारे परिवार की तरह है. विपरीत परिस्थितियों में मदद करना हमारा सेवा या एहसान नहीं है, बल्कि हमारा फर्ज है. इसके लिए सभी का सहयोग जरूरी है. हम टीम के सदस्यों के साथ मिलकर और शहर के अनेक व्यावसायी, समाजसेवियों की मदद लेकर कोशिश कर रहे हैं कि जो भी जरूरतमंद है उन तक हम पहुंचे और मदद करे. उन्होंने बताया कि शहर के राजकुमार अग्रवाल, विनय सेठ, रितेश भावनानी, दर्शन सिंह कुलदीप, राकेश अग्रवाल, श्यामसुदंर सोनी, राजकिशोर प्रसाद, दीपक देवरा सहित अनेक दानदाता भी उनके अभियान में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं और मेडिकल सामग्री के साथ अन्य जरूरत का सामान भी उपलब्ध करा रहे हैं.
ये हैं निस्वार्थ योध्दा
अमित के टीम के सदस्य युगल शर्मा, अनिल द्विवेदी, संदीप अग्रवाल बताते हैं कि कोविड मरीजों के लिए एम्बुलेंस, ऑक्सीजन, दवाइयां ही नहीं उपलब्ध कराई गई है, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी सहित जरूरत का सामान और खाद्य सामग्री भी दिया जा रहा है. प्राइवेट एम्बुलेंस से मरीज को घर से अस्पताल तक पहुंचाने, अन्य कार्य के लिए वाहन आदि का सहयोग भी निःशुल्क दिया जा रहा है. अमित नवरंगलाल की टीम में मनोज यादव, अनिल बेर, शाहरूख सिद्दीक़ी, ममता दास, अनिल वरंदानी, राजीव तिवारी, योगेश बंसल, मनोज राजपूत, शैलेश पांडेय, दीपक देवड़ा, अनूप अग्रवाल, विकास अग्रवाल, असलम खान आदि भी है, जो बेबस और लाचार लोगों की मदद करने में दिन-रात जुटे हुए हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रदेश के समाजसेवियों से कोरोना पीड़ितों की मदद करने की अपील की थी. ऐसे में युवा अमित नवरंगलाल जैसे समाजसेवियों का आगे आना एक मिसाल है.
read more- Aggressiveness towards Hacking: Indian Organizations under Chinese Cyber Attack
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें..