सुशील खरे रतलाम। शहर में एक ओर 60 बिस्तरों के अस्पताल का शुभांरभ कार्यक्रम चल रहा था और वहीं दूसरी ओर सड़क पर ही एक वकील के दम तोडऩे की दुखद घटना सामने आई है. उपचार के अभाव में एक वकील ने सड़क पर ही दम तोड़ दिया. उसे रतलाम मेडिकल कॉलेज में जगह नहीं मिली, जिसके चलते बीच सड़क बाइक पर बैठे बैठे ही उसके प्राण निकल गए. निजी अस्पतालों ने भी उसे भर्ती लेने से मना कर दिया.

पुलिसकर्मियों की मदद से शव को जिला अस्पताल पहुंचाया गया

मामला एक मरीज और वकील की मौत का है. अस्पताल तक पहुंचने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो भाई को बचाने बाइक से अस्पताल ले आया. दुखद बात यह है कि उसे किसी भी अस्पताल ने भर्ती नहीं लिया. इलाज नहीं मिलने से वकील सुरेश डगर ने बाइक पर ही दम तोड़ दिया. वकील सुरेश डागर को बचाने के लिए उनके भाई अनिल और मां बाइक पर बैठकर मेडिकल कॉलेज लेकर गए. जीएमसी में दो घंटे इंतजार करने के बाद भी मरीज को जगह नहीं मिली, तो भाई अनिल आयुष ग्राम अस्पताल लेकर गया. पर यहां भी कोई समाधान नहीं मिला. दूसरे निजी अस्पताल ले जाने का प्रयास करता रहा भाई अनिल. अस्पताल के लिए भटकते हुए राम मंदिर तिराहे पर बीमार वकील की बाइक पर ही मौत हो गई. कोरोना संदिग्ध होने की वजह से बहुत देर तक सड़क पर ही परेशान होता रहा परिवार. राम मंदिर के सामने चौराहे से मौके पर ड्यूटी कर रहे हैं पुलिसकर्मियों की मदद से शव को जिला अस्पताल पहुंचाया गया.

सरकार के दावे खोखले साबित
अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे है. मंगलवार को 60 बेड और 70 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तो मिले, पर जिनको इसकी जरूरत थी उस तक सुविधा नहीं पहुंच पाई. मेडिकल कॉलेज के बाहर 2 घंटे इंतजार करवाने के बाद परेशान परिवार भटकता रहा. समय रहते अगर इलाज मिल जाता तो एक परिवार उजडऩे से बच जाता।

पाचंवे स के लिए भी जाना जाएगा
बता दें कि 370 करोड़ का रतलाम मेडिकल कॉलेज और अरबों रुपये के निजी अस्पताल, देश की सबसे बड़ी दूसरी सोने की मंडी. पर एक वकील को भर्ती करने के लिए जगह नहीं मिली, क्या हो गया इस शहर रतलाम को. 4 स सेव, सोना, साड़ी और सट्टा के नाम से जाना जाता था. अब शायद शव पांचवे एस स के लिए भी जाना जाएगा.