नई दिल्ली। भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच अच्छी खबर सामने आई है. देश में मौजूदा स्थिति में ऑक्सीजन की भारी किल्लत महसूस हो रही है. ऐसे समय में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोरोना के इलाज में एक और दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है. इसका नाम 2-deoxy-D-glucose (2-DG) है.
2-डीजी दवा की क्लीनिकल ट्रायल्स सफल साबित रहा है. दावा है कि जिन मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई. साथ ही मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम हो गई. ये भी दावा है कि दवा के इस्तेमाल से मरीजों की कोरोना रिपोर्ट बाकी मरीजों की तुलना में जल्दी निगेटिव हो रही है. वो जल्दी ठीक भी हो रहे हैं.
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डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेस (INMAS) और हैदराबाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) ने मिलकर ‘2-डीजी’ दवा को तैयार किया है. इसकी मैनुफैक्चरिंग की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज को दी गई है.
क्लीनिकल ट्रायल्स में सामने क्या आया ?
फेज-II: देशभर के अस्पतालों में इस दवा का ट्रायल किया गया. फेज-IIa के ट्रायल 6 और फेज-IIb के ट्रायल 11 अस्पतालों में किए गए. 110 मरीजों को शामिल किया गया. ये ट्रायल मई से अक्टूबर के बीच किया गया था.
नतीजाः जिन मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया, वो बाकी मरीजों की तुलना में कोरोना से जल्दी ठीक हुए. ट्रायल में शामिल मरीज दूसरे मरीजों की तुलना में 2.5 दिन पहले ठीक हो गए.
फेज-III: दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच देशभर के 27 अस्पतालों में फेज-III के ट्रायल्स हुए. इस बार 220 मरीजों को इसमें शामिल किया गया. ये ट्रायल दिल्ली, यूपी, बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में किए गए.
नतीजाः जिन लोगों को 2-DG दवा दी गई, उनमें से 42% मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन खत्म हो गई. लेकिन जिन्हें दवा नहीं दी गई, ऐसे 31% मरीजों की ही ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हुई. यानी दवा से ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हुई. एक अच्छी बात ये भी रही कि यही ट्रेंड 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों में भी देखा गया.
कैसे काम करती है यह दवा ?
ये दवा पाउडर के रूप में आती है. जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है. ये दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन कर वायरस को बढ़ने से रोकती है. इस दवा की खास बात ये है कि ये वायरस से संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करती है. ये दवा ऐसे वक्त में बहुत कारगर साबित हो सकती है, जब देशभर में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. दावा किया जा रहा है कि दवा की वजह से मरीजों को ज्यादा दिन तक अस्पताल में रुकने की जरूरत भी नहीं होगी.
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