लखनऊ. जिस वक्त लखनऊ में लोग अपने परिजन को मृत अवस्था में छोड़कर भाग जाते है. सरकार मरीजो की देखभाल के लिए असहाय नजर आ रही है. लखनऊ के सड़कों पर मातम पसरा है. परिजन द्वारा लाई गई लाशें कब लावारिश लाशों मे तब्दील हो जाती है, पता ही नहीं चलता. जब लोग अपने लोगों को छोड़कर भाग खड़े होते हैं. जब छोटे-छोटे कोरोना किटों के अभाव में गरीब कोरोना संक्रमित हो जाते है. उस वक्त एक महिला अपनी टीम के साथ सड़कों पर उतरकर लावारिश लाशों का दाह संस्कार कर रही है.

महिला टीम घर में आइसोलेटेड गरीब मरीजों के तीमारदारों को पीपीई किट दे रही है. ताकि मरीज का संक्रमण उनके परिजन को न पकड़ ले. भूख से तड़प रहे गरीबों को खाना दे रही है, ताकि कोरोना से पहले गरीब भुखमरी से ना मर जाए. कोरोनाकाल महामारी के दौर में जब अपने अपनो को छोड़कर भाग जा रहे है, तब ये महिला उनको अपनो की तरह संभाल कर कहती है मैं हूं ना.

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इस महिला का नाम है सुमन सिंह रावत. सुमन रावत वीमेन पॉवर विंग फाऊंडेशन की चेयरपर्सन है. पिछ्ले कोरोना काल में भी लाखों लोगों की मदद वो खुद लोगों के बीच चलकर की थी. अब जब दूसरी वेव ने लखनऊ को अपने आगोश में लिया, तो बहुत ऐसे लोग जो अपने परिजानों को छोड़ भाग जाते है, बहुत ऐसे गरीब जिनके पास खाना खाने का पैसा नहीं है, दवा करवाना तो दूर की बात. ऐसे लोगों के लिए मसीहा बन सामने आई सुमन लखनऊ में लाखों लोगो के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं.