नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है. ऐसे में अबतक कोई कारगार दवाई कोरोना को जड़ से खत्म करने में सफल नहीं हो रही हैं. कई दवाइयों को मिलाकर कोरोना से लड़ने के लिए फॉर्मुला बनाया जा रहा है, जिसमें आइवरमेक्टिन, रेमडेसिविर समेत कई दवाइयां शामिल हैं. अब एक बार फिर आइवरमेक्टिन को लेकर चेतावनी दी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आइवरमेक्टिन दवा के इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.
आइवरमेक्टिन दवा का न करें इस्तेमाल
WHO की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने एक ट्वीट में बताया कि नए लक्षण के लिए किसी भी दवाई का उपयोग करने में उसकी सुरक्षा और प्रभावी क्षमता को जानना महत्वपूर्ण है. उन्होंने लिखा कि WHO क्लीनिकल ट्रायल को छोड़कर कोविड-19 के लिए आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता है.

सौम्या स्वामीनाथन ने किया ट्वीट

सौम्या स्वामीनाथन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि WHO आइवरमेक्टिन दवाई के इस्तेमाल के खिलाफ है. किसी भी दवा की सुरक्षा और साथ ही वो कितनी प्रभावी है इसका ध्यान भी रखा जाना चाहिए. स्वामीनाथन के मुताबिक इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ क्लीनिकल ट्रायल में होना चाहिए. उन्होंने अपने ट्वीट में मर्क नाम की कंपनी का एक बयान भी अटैच किया है, जिसमें इस दवा के बारे में बताया गया है.
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बता दें कि कोविड-19 संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए रेमडेसिविर, आइवरमेक्टिन, टोसिलिजुमैब, एनोक्सापारिन इंजेक्शन, डेक्सामेथासोन टैबलेट जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले साल मलेरिया के खिलाफ दी जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर भी काफी विवाद हुआ था, जिसे WHO ने अब तक मंजूरी नहीं दी है. भारत में रेमडेसिविर की इस वक्त सबसे ज्यादा मांग है और भारत सरकार ने इस एंटी वायरल इंजेक्शन का बड़े पैमाने पर उत्पादन को मंजूरी दी. साथ ही दूसरे देशों से इसे आयात भी किया जा रहा है.

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