रायपुर। कोरोना काल में प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे एक तरफ बेमौसम बारिश में सोसायटियों में रखे धान के खराब होने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो दूसरी ओर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल इसे राज्य सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा बता रहे हैं.

बेमौसम बारिश से सोसायटियों में रखे धान के भीगने पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार अपने वादे के अनुसार, 60 लाख मीट्रिक टन धान खरीद लेती तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में भी धान सड़े थे. अगले साल हम तक सभी सोसाइटियों में चबूतरा और शेड का निर्माण कर लेंगे, ताकि इस तरह की स्थिति निर्मित ना हो. उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर को नुकसान का आंकलन करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. नुकसान की भरपाई की जाएगी.

धान भीगने के लिए केंद्र सरकार पर आक्षेप लगाए जाने पर पूर्व मंत्री व भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सब राज्य सरकार के कुप्रबंधन के कारण हो रहा है. पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 40 लाख टन धान ऐसा पड़ा हुआ है, जिसकी मिलिंग नहीं हुई है. सोसाइटियों में 17 लाख टन धान खराब पड़ा हुआ है. 20 लाख मीट्रिक टन उपार्जन केंद्रों में पड़ा हुआ है. यही नहीं पिछले साल से रखे लगभग ढाई लाख मीट्रिक टन धान की मिलिंग नही हुई है. 3 महीने के बाद भी ये सरकार धान की मिलिंग नहीं करवा पाई है.

भाजपा नेता ने कहा कि पिछले साल भी एफसीआई को इन्होंने ढाई लाख टन चावल कम दिया, और इस वर्ष भी समय सीमा के अंदर बार-बार केंद्र सरकार से कोटा बढाए जाने की मांग करती रही.  तय समय सीमा के हिसाब से अभी पूरे धान की मिलिंग हो जानी थी. 28 लाख मीट्रिक टन धान एफसीआई में जमा कराना है. राज्य के पीडीएस के लिए जो चाहिए. लेकिन सरकार के कुप्रबंधन के कारण छत्तीसगढ़ की जनता को अरबों रुपए का नुकसान हो रहा है.

वहीं भाजपा नेताओं के राज्यपाल से मुलाकात पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के राजभवन को राजनीति का अड्डा नहीं बनाए जाने की बात कहे जाने पर बृजमोहन अग्रवाल ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि जब सरकारें जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करती हैं, तब राजभवन को सक्रिय होना पड़ता है. ये राज्य सरकार का फैलवरनैस है कि राजभवन को सक्रिय होना पड़ रहा है.