लखनऊ. कोरोना महामारी से जूझते उत्तर प्रदेश में पैर पसारते ब्लैक फंगस ने भी सरकार के होश उड़ा दिए हैं. अलग-अलग शहरों से आते मामलों ने राजधानी को सतर्क कर दिया है. इससे पहले कि हालात बेकाबू हों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ एसपीजीआई के 12 डाक्टरों की एक खास टीम बना दी है. यह टीम इलाज करेगी, बीमारी पर नजर रखेगी और पूरे सूबे के डाक्टरों को राह भी दिखाएगी.

मथुरा के कोविड प्रभारी डाक्टर भूदेव इन दिनों कोरोना के साथ ब्लैक फंगस पर भी तीखी नजर रखे हुए हैं. आंखों की रोशनी जाने और मिलते जुलते लक्षणों के मरीजों की सूचना पर वह खुद ही टीम के साथ मौके पर जा पहुंचते हैं. ब्लैक फंगस पर भी किसी तरह की लापरवाही न बरतने के लिए उन्हें लखनऊ से खास आदेश मिले हैं. इस समय डाक्टर भूदेव, वृंदावन की मिथिलेश का हालचाल ले रहे हैं.
दरअसल, धीरे-धीरे ब्लैक फंगस भी, कोरोना की तरह, खतरनाक होता जा रहा है. तकरीबन हर जिले से मिलते-जुलते लक्षणों के मरीज मिलने से सरकार के होश उड़ गए हैं.

मेडिकल स्टोरों से ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली दवाएं नदारद हो जाने से रणनीतिकारों को लग रहा है कि वो जितना समझ रहे हैं. मामला उससे भी ज्यादा गंभीर है. फिलहाल, राजधानी के ही 13 मरीज केजीएमयू और तीन लोहिया संस्थान में भर्ती हैं. हालात ये हैं कि इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन और आइसोकोनाजोल सरीखी दवाएं ब्लैक हो रही हैं.

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शनिवार को टीम-9 की बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ब्लैक फंगस की स्थिति की भी जानकारी ली थी और टीम को प्रो-एक्टिव रहने के निर्देश दिए थे. सीएम ने कहा था कि विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने में आई है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को खास ताकीद भी की थी.
जरूरत यह भी है कि लोग भी अपना खास ध्यान रखें. बुखार-सिरदर्द-खांसी-सांस फूल रही हो तो सतर्क हो जाएं. आंख में दर्द हो, फूल जाए, दिखना बंद हो जाए या चीजें दो दिखें तो चिकित्सक से पूछकर खून की जांच और टिश्यू बयॉप्सी जरूर करा लें.