भुवनेश्वर. भारतीय धर्मग्रंथों में 4 धामों में से एक जगन्नाथ पुरी में हर साल रथयात्रा निकाली जाती है. पुरी जगन्नाथ धाम में आज 17 मई से 21 दिवसीय चंदन यात्रा शुरू हो गई है. श्रीविग्रह आज से 21 दिन तक नरेन्द्र सरोवर में नौका विहार करेंगे. इसके लिए पुरी जगन्नाथ मंदिर एवं नरेन्द्र सरोवर के पास धारा 144 लगा दी गई है. इसके साथ आज से ही रथ बनाने का काम भी शुरू कर हो गया है. वहीं देश में फैली कोरोना महामारी के कारण पुरी जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस साल भी बिना भक्तों की ही सम्पन्न की जाएगी.

बता दें कि जगन्नाथ पुरी में 21 दिवसीय के इस चंदन यात्रा को क्रम अनुसार ढंग से सम्पन्न कराने के लिए पुरी पुलिस भी पूरी तरह से ऐक्शन मोड में नजर आ रही है. पुरी के एसपी कुंवर विशाल सिंह ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजियोर का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा. सुरक्षा व्यवस्था को 5 भाग में विभाजित किया गया है. कोविड प्रतिबंध का अनुपालन करने के लिए 6 एनफोर्समेंट टीम काम करेगी.

 

इस यात्रा के साथ जुड़े रहने वाले केवल सेवक एवं कर्मचारियों को ही चंदन यात्रा में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा. एक अतिरिक्त एसपी के साथ 6 डीएसपी, 8 इंस्पेक्टर, 50 कांस्टेबल, 8 प्लाटुन पुलिस फोर्स तैनात की गई है. एसओपी उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

सेवक एवं अधिकारियों का किया गया कोविड टेस्ट

मिली जानकारी के मुताबिक, चंदन यात्रा के साथ जुड़े रहने वाले 250 सेवक एवं अधिकारियों का कोविड टेस्ट किया गया है. निगेटिव रिपोर्ट आने वाले सेवक एवं कर्मचारियों को लेकर चंदान यात्रा शुरू की गई है. पॉजिटिव आने वाले सेवक एवं कर्मचारियों को होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गई है. नरेन्द्र सरोवर एवं जन्नाथ मंदिर के पास 144 धारा लगाई गई है, ऐसे में जिन सेवकों को चंदन यात्रा में शामिल होने है, उन्हें पास दिया गया है और पास दिखाकर सेवक इस यात्रा में शामिल हो कर नीति सम्पादन कर रहे हैं.

बिना भक्तों की ही सम्पन्न होगी रथयात्रा 

वहीं कोरोना महामारी के कारण इस साल भी जगन्नाथ पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा को बिना भक्तों की ही सम्पन्न कराने को लेकर जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से तैयारी शुरू कर दी गई है. स्नान यात्रा से पहले सभी सेवकों को कोरोना टीका लगाने का निर्णय लिया गया है. जरूरत पड़ने पर उन्हें जगन्नाथ मंदिर भक्त निवास में संगरोध में रखा जाएगा. 18 साल से अधिक आयु के सभी सेवकों को कोरोना टीका दिए जाने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अनुमोदित कर दिया है. 16 मई से रथयात्रा के साथ जुड़े रहने वाले सेवकों को कोरोना टीका लगाया गया है. रथ खींचने वाले सेवकों की सूची तैयार की जा रही है.

वहीं कोरोना से संक्रमित सेवकों को रथयात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दिया है. पिछले साल की ही तरह इस साल भी स्नान यात्रा, रथयात्रा में पालिया सेवक के साथ सीमित संख्या में पुलिस अधिकारी एवं पुलिस कर्मचारी रथ को खींचेंगे. कोरोना प्रतिबंध के बीच जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा, बाहुड़ा (घर वापसी) यात्रा एवं सोनावेश अनुष्ठित किया जाएगा. इस संबन्ध में विधिवत रूप से फिलहाल घोषणा नहीं की गई है, मगर प्रशासनिक स्तर पर बिना भक्तों की रथयात्रा करने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

रथ निर्माण कार्य में नियोजित होने वाले 200 से अधिक महारणा, भोई, चित्रकार, रूपकार, दर्जी एवं ओझा सेवकों को कोरोना टीका लगा दिया गया है. रथ निर्माण वाले स्थल को चारों तरफ से घेरी बना दिया गया है. आम लोगों को वहां प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है. आज अक्षय तृतीया के मौके पर रथनिर्माण कार्य एवं चंदन यात्रा बिना भक्तों के शुरू हो गई है.

हर साल बनाए जाते हैं 3 रथ 

आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के लिए हर साल 3 रथ बनाए जाते हैं. इन रथों में पहिये से लेकर शिखर के ध्वजदंड तक 34 अलग-अलग हिस्से होते हैं. तीनों रथों के निर्माण में लगभग 4 हजार लकड़ी के हिस्से तैयार किए जाते हैं. इसमें 8-8 फीट के 865 लकड़ी के मोटे तनों यानी 13 हजार क्यूबिक फीट लकड़ी का इस्तेमाल होता है. यह लकड़ी नयागढ़, खुर्दा, बौध इलाके के वनों से 1 हजार पेड़ों को काटकर जुटाई जाती है.