मुंबई. बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हैं जो एक्टिंग नहीं बल्की किसी दुसरी फिल्ड में जाना चाहते थे. अपने जीवन में क्रिकेटर, बैडमिंटन प्लेयर, टेनिस प्लेयर, फुटबॉलर या हॉकी प्लयेर बनना चाहते थे, लेकिन किसी कारण बन नहीं पाए. वहीं बॉलीवुड में एक ऐसा शख्स भी है, जिसने सभी से हटकर खेल को चुना और भारत के लिए खेला भी. हम राहुल बोस की बात कर रहे हैं. Rahul Bose को बतौर अभिनेता कई लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि वह इंटरनेशनल रग्बी खिलाड़ी भी रह चुके हैं.
कई उपलब्धियां की हासिल
बता दें कि Rahul Bose में कई प्रतिभाएं हैं, लेकिन रग्बी उनमें से एक है. इस खेल में राहुल ने कई उपलब्धियां भी हासिल किया हैं. उन्होंने लंबे अरसे तक इंटरनेशनल स्तर पर इस खेल में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है. लेकिन, 2008 में उन्होंने इस खेल को अलविदा कह दिया था. उन्होंने आठ साल तक एशियन यूनियन रग्बी चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया. संन्यास लेने के बाद उन्होंने रग्बी के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया.
Rahul Bose ने अपना पहला इंटरनेशनल रग्बी मैच 1998 में सिंगापुर के खिलाफ खेला था और आखिरी मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला था. राहुल जब रग्बी खेला करते थे तब भी वह फिल्मों में काम करते थे, लेकिन फिल्मों से ज्यादा उनके लिए देश के लिए खेलना अहम होता है था. एक इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही थी.
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एक वेबसाइट को Rahul Bose ने बताया, “जब मैं भारत के लिए खेला करता था तब मैं अपने रग्बी कैलेंडर को देखा करता था और दो अहम टूर्नामेंट्स को देखता था और वही फिल्में लेता था जो इन टूर्नामेंट्स की तारीखों से टकराएं नहीं क्योंकि मेरे लिए फिल्मों में एक्टिंग करने से ज्यादा जरूरी भारत के लिए खेलना था.” उन्होंने बॉम्बे जिमखाना के लिए घरेलू स्तर पर रग्बी खेली है और साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय क्लब टूर्नामेंट्स में भी खेल चुके हैं.
बताया संन्यास लेने का कारण
Rahul Bose ने जब संन्यास लिया था तब उन्होंने इसके पीछे कुछ कारण बताए थे. एक वेबसाइट पर छपी खबर में राहुल ने बताया, “इंटरनेशनल रग्बी की तैयारी के लिए आपको कम से कम दो महीने चाहिए होते हैं. जो मेरे पास नहीं है. बाकी के दो कारण पैसा और उम्र है. रग्बी ज्यादा पैसा देता नहीं है और साथ ही मैं अब 40 साल का हो गया हूं. इसलिए इशारे साफ हैं कि मुझे रग्बी छोड़ देना चाहिए.”
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Rahul ने 90 के दशक के बीच में अपना फिल्मी करियर शुरू किया था. उन्होंने मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, झंकार बीट्स (2003), चमेली (2003), प्यार के साइट इफेक्टस (2006), शौर्य (2008), दिल धड़कने दो (2015), जैसी फिल्मों में काम किया. उन्होंने कई हिट्स फिल्में दीं और बॉलीवुड में अपना नाम कमाया.
एक्टिंग के बाद उन्होंने निर्देशन में भी हाथ आजमाए और 2017 में पूर्णा नाम की फिल्म निर्देशित. फिल्मों और खेल के अलावा राहुल समाज सेवा से भी काफी जुड़े रहे हैं.
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