बिलासपुर। प्रदेश में 18+ कोरोना टीकाकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. शासन की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र में टीकाकरण में वर्गभेद से इंकार करते हुए केंद्रों में सभी को टीका लगाने की बात कही गई. शपथ पत्र पर उच्च न्यायालय ने हैरानी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की, साथ ही अपना तर्क प्रस्तुत करने के लिए सभी पक्षों को शपथ पत्र की कापी मुहैया देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
प्रदेश में 18 प्लस टीकाकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए सुनवाई हुई. टीकाकरण को लेकर प्रस्तुत शपथ पत्र में बताया गया कि टीकाकरण केंद्र सभी के लिए खुले हैं, किसी भी तरह का कोई कोटा का वर्गीकरण नहीं किया गया है. टीकाकरण के लिए पंजीयन कराने वाले सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है, उन्हें बिना वैक्सीनेशन के नहीं लौटाया जा रहा है. इस तरह से वैक्सीन के कम इस्तेमाल (under utilization) का सवाल ही पैदा नहीं होता.
जानकारी के अनुसार, शासन के शपथ पत्र पर पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक तरफ आदेश जारी कर टीकाकरण के लिए फ्रंटलाइन वर्कर, अंत्योदय, बीपीएल व एपीएल का वर्गीकरण किया गया है. इसमें यह भी बताया गया है कि किस वर्ग को कितनी फीसद टीकाकरण होगा. वहीं अब शपथ पत्र में कहा जा रहा है कि वैक्सीनेशन में वर्गीकरण नहीं किया जा रहा है. साथ ही वैक्सीन के बर्बाद नहीं होने की बात कह रही है.
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कोर्ट ने मामले में कोई लिखित आदेश नहीं दिया है. वहीं या टिप्पणी नहीं की है. दरअसल, सुनवाई के दौरान न्यायमित्र प्रफुल्ल भारत सहित कई पक्षकारों को शासन के शपथपत्र की कापी उपलब्ध नहीं हो पाई थी. इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पहले सभी पक्ष के वकीलों को जवाब की कॉपी उपलब्ध कराई जाए, जिसे पढ़कर सभी वकील अपना तर्क रखेंगे. अब कोर्ट में प्रकरण की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
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