रायपुर। छत्तीसगढ़ में वन विभाग संग्राहक परिवारों को राहत पहुंचा रहा है. जिससे संग्राहक परिवार भी खुश हैं. लघु वनोपज संग्राहक परिवारों के संबंध में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने वन मंत्री को पत्र लिखा था. जिसका वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बिन्दुवार जवाब दिया है. इस पत्र में वन मंत्री ने वस्तुस्थिति की जानकारी दी है.

इमली की खरीदी लक्ष्य से अधिक

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अपने पत्र में लक्ष्य की तुलना में इमली की खरीदी कम होने की बात कही थी. उन्होंने यह भी कहा था कि घोषित सीजन शेष रहने के बावजूद भी खरीदी बंद कर दी गई. इसकी वजह से संग्राहकों को कम मूल्य पर इमली बिचौलियों के पास बेचना पड़ा. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल को बताया है कि छत्तीसगढ़ में फरवरी से अप्रैल माह तक मुख्यतः बस्तर क्षेत्र में इमली का संग्रहण होता है. वर्ष 2021 के लिए 1,88,000 क्विटल खरीदी लक्ष्य के खिलाफ 1,92,582 क्विटल इमली का खरीदी की गई है. इस तरह 4582 क्विटल अधिक खरीदी की गई है.

राज्यपाल को वन मंत्री ने यह भी बताया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था का उद्देश्य संग्राहकों उनके उत्पाद के लिए न्यूनतम मूल्य की सुरक्षा प्रदान किया जाना है. इसके अंतर्गत खरीदी के लिए सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित किए जाते है. अगर खुले बाजार में खरीदी दर न्यूनतम मूल्य से कम है, तो शासन द्वारा अधिकृत एजेन्सी खरीदी करती है. इय योजना अंतर्गत लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रयास नहीं किए जाते है. खरीदी मात्रा लक्ष्य से कम या अधिक हो सकती है. राज्यपाल को यह भी बताया गया है कि इमली की खरीदी और भुगतान के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दर पर बिका महुआ

राज्यपाल ने वन मंत्री को जो पत्र प्रेषित किया था उसमें कहा गया था कि फूड ग्रेड महुआ की 4000 क्विटल खरीदी का लक्ष्य की तुलना में बहुत कम खरीदी की गई है. इस संबंध में वन मंत्री ने राज्यपाल को बताया है कि सामान्य महुआ फूल (सूखा) का उपार्जन लक्ष्य 4000 क्विटल था, लेकिन फूड ग्रेड महुआ के लिए लक्ष्य निर्धारित नहीं था. महुआ का उपार्जन 15 मई की स्थिति में 511 क्विटल हुआ है.

इसका मुख्य कारण केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रूपए प्रति किलोग्राम के अपेक्षा व्यापारियों द्वारा 45 से 55 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से संग्राहकों से महुआ फूल का कय किए जाना है. न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य संग्राहकों को प्राप्त होना संग्राहकों के हित में है. उन्हें ये भी बताया गया है कि महुआ आधारित राजनांदगांव संयंत्र के लिए वर्ष भर में मात्र 25 से 30 क्विटल फूड ग्रेड महुआ की आवश्यकता होती है. इससे अधिक मात्रा का उपार्जन किया जा चुका है.

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के प्रकरण एलआईसी में लंबित

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के पूर्व के लंबित प्रकरणों की शीघ्र निराकरण किए जाने की जरूरत बताई थी. इस संबंध में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने उन्हें बताया है कि प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना के 150 प्रकरण भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में निराकरण के लिए लंबित है. एल.आई.सी. को उक्त प्रकरणों के संबंध में 7 अक्टूबर 2020, 9 अक्टूबर 2020, 6 मार्च 2021 और 7 मई 2021 को पत्राचार कर निराकरण के लिए अनुरोध किया गया है. वन मंत्री ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वे बीमा कंपनी को निर्देशित करने पर विचार करने का कष्ट करें.

छत्तीसगढ़ में नवीन सुरक्षा बीमा योजना लागू, 9 करोड़ 45 लाख रूपए का भुगतान

राज्यपाल ने संग्राहकों के लिए सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के वर्तमान प्रावधान की जानकारी चाही थी. साथ ही यह भी पूछा था कि पूर्व और वर्तमान की योजनाओं में क्या लाभ है. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को दोनों योजनाओं की प्रतियां प्रेषित की है. उन्होंने बताया है कि मार्च 2018 से संचालित योजना को केन्द्र सरकार द्वारा दिसम्बर 2019 में बंद करने के बाद छत्तीसगढ़ में नवीन योजना के लागू होने के 9 माह के भीतर 615 प्रकरणों का निराकरण कर राशि 9,45,60,000 पीड़ित परिवारों को दी जा चुकी है.

वन मंत्री ने राज्यपाल को बताया है कि तेन्दूपत्ता संग्राहण, पारिश्रमिक भुगतान, बोनस भुगतान, कोविड-19 से बचाव के लिए उपाय और संग्राहकों का टिकाकरण, फड़ मुंशियों और प्रबंधको का मानदेय बढ़ाने इत्यादि के संबंध में समय-समय पर समीक्षा कर उसको निराकरण कराया जाता है. राज्यपाल का पत्र प्राप्त होने के बाद विभाग के वरिष्ट अधिकारियों का बैठक बुलाकर समीक्षा किए जाने की जानकारी वन मंत्री ने दी है. यह भी बताया गया है कि लंबित प्रकरणों पर जल्द शीघ्र कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है.

440 करोड़ रूपए के तेन्दूपत्ता की खरीदी, नगद भुगतान की अनुमति दी

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल अनुसुइया उइके के संज्ञान में लाया है कि वर्तमान में तेन्दूपत्ता संग्रहण का सुचारू रूप से चल रहा है. 20 मई 2021 की स्थिति में 1100006 मानक बोरा पारिश्रमिक राशि 440 करोड़ रूपए का क्रय किया जा चुका है. बस्तर संभाग के दुरस्त जिलों नारायणपुर, कांकेर, बीजापुर, सुकमा, कोण्डागांव, दन्तेवाड़ा में कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए तेन्दूपत्ता संग्राहकों को इस वर्ष के लिए नगद भुगतान की अनुमति भी दी गई है. वन का बड़ा क्षेत्र नक्सल समस्या से ग्रस्त होने, मैदानी अमले की कमी और कोविड-19 महामारी की गंभीर स्थिति के बावजूद वन विभाग आदिवासी अंचलों में गरीब व्यक्तियों को राहत पहुंचाए जाने के लिए पूरे लगन के साथ प्रयासरत है.

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