नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से देश में लाखों लोगों की जान चली गई. इस तरह अचानक अपनों को खोने से परिवारों को गहरा दुख पहुंचा है. घर की जिम्मेदारी निभाने वालों के चले जाने से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. इससे कई बच्चे अनाथ हो गए हैं. मुसीबत की इस घड़ी में सरकार के साथ कई कॉरपोरेट कंपनी भी सामने आए हैं. इसी कड़ी में टाटा स्टील ने अपने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है. वह कोरोना से होने वाले अपने किसी भी कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रितों को 60 साल की उम्र तक यानी उसकी रिटायरमेंट की उम्र तक पूरी सैलरी देती रहेगी. ऐसे परिवारों को मेडिकल और आवास सुविधाएं भी मिलती रहेंगी.
पढ़ाई का खर्च भी देगी
टाटा स्टील प्रबंधन ने कहा है कि यदि कोरोना के कारण किसी कर्मचारी की मौत होती है तो टाटा स्टील उनके आश्रितों को 60 साल तक पूरा वेतन देगी. इसके अलावा सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स की ड्यूटी के दौरान मौत होने पर उनके बच्चों के भारत में ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का पूरा खर्च कंपनी उठाएगी.
कंपनी हमेशा कर्मचारियों के साथ
टाटा प्रबंधन का कहना है कि कंपनी हमेशा से अपने कर्मचारियों और स्टेकहोल्डर्स के लाभ की दिशा में सोचती रही है. कोविड के दौर में भी टाटा स्टील अपने सभी कर्मचारियों और समुदाय के सामाजिक कल्याण के लिए लगातार प्रयासरत है.
इससे पहले भी टाटा ने कर्मचारियों के हित में कई कदम उठाए हैं और एक आदर्श स्टैंडर्ड सेट किया है. टाटा स्टील ही देश की वह पहली कंपनी है जिसने अपने कर्मचारियों के लिए 8 घंटे काम (शिफ्ट), कंपनी के मुनाफा आधारित बोनस, सोशल सिक्योरिटी, मातृत्व अवकाश, कर्मचारी भविष्य निधि जैसी सुविधाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया.
बता दें कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मौत होने के बाद उनके आश्रितों को अच्छी रकम और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को कुछ खास नहीं मिलता था. लेकिन कोरोना संकट के दौर में खासकर दिग्गज प्राइवेट कंपनियों ने इस दिशा में अच्छी पहल की है.
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