कोरोना जैसे संक्रमण के साथ ही आजकल कुछ दिनों से पूरे देश भर से ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं. देश के 10 प्रदेशों में इनकी अधिक जानकारी मिली है, ये राज्य,महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा हैं. ब्लैक फंगस के खतरे लेकर लोगों में एक चिंता भय और घबराहट फैल रही है. कुछ प्रदेशों में इसके लिए अस्पतालों में अलग से वार्ड बना दिया गया है, और इसके लिए अलग से दवाइयों के और उपचार के इंतजाम किये जा रहे हैं.

डॉ. दिनेश मिश्र,
वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ,
अध्यक्ष, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति

ब्लैक फंगस के खतरे लेकर लोगों में एक चिंता, भय और घबराहट फैल रही है. हम चिकित्सकों के पास रोज ऐसे अनेक फोन आते हैं, जिसमें मरीज चिंताग्रस्त आवाज में बात करते हैं कि मुझे ब्लैक फंगस तो नहीं हो जाएगा, और जॉंच के लिए आने वाले मरीज भी पूछते हैं, डॉक्टर साहब, आजकल ब्लैक फंगस के बारे में बहुत सुन रहे हैं, जरा अच्छे से जांच करके बता दीजिए कि हमको ब्लैक फंगस तो नहीं है. यहां यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि ब्लैक फंगस के सम्बंध में बहुत अधिक डरने की जरूरत नहीं है. ब्लैक फंगस न ही हर किसी को होने वाला है, और न ही यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली छूत की संक्रामक बीमारी है. इसके लिए पैनिक न करें, सिर्फ सावधानी रखें.

पिछले कुछ दिनों से टेलीविजन के चैनलों में, समाचार पत्रों में ,सोशल मीडिया में सुर्खियों में जगह पा रहा यह ब्लैक फंगस आखिर होता क्या है, कैसे होता है, किसको होता है, क्यों होता है, इसका बचाव कैसे कर सकते हैं.

सन 2019 के आखिरी महीनों से संसार में कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ है, दुनिया के 200 से अधिक देशों के नागरिक इस संक्रमण के शिकार हैं, डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी घोषित कर दिया था. सन 2020 के प्रारम्भ से ही भारत के बहुत सारे प्रदेशों से नागरिकों के संक्रमण से प्रभावित होने की खबरें आने लगीं. भारत में कोरोना का पहला मामला पिछले साल के आरम्भ में पता चला था और उस समय जो विदेशों से जो लोग भारत आए थे, उन के माध्यम से फैला था, लेकिन उसके बाद एक से दूसरे व्यक्ति में धीरे-धीरे यह बढ़ने लगा.

पिछले वर्ष के संक्रमण को कोरोना की पहली लहर (फर्स्ट वेव) कहा गया था, और इस बार जो फरवरी से जो कोरोना का विकराल रूप देखने मिल रहा है, उसे कोरोना की दूसरी लहर (सेकण्ड वेव) कहा जा रहा है. पिछले बार जो कोरोना की फर्स्ट वेव थी, उसके ज्यादातर शिकार वृद्ध और अधिक उम्र के लोग थे, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम थी, वे उसके शिकार हुए. बहुत सारे लोग उपचार से ठीक भी होते चले गए. लेकिन यह दूसरी लहर है, इस लहर में शहरों से ज्यादा गांव के लोग भी संक्रमण के शिकार हुए. इस बार लापरवाही बरती गई और गाइडलाइन का सही ढंग से पालन नहीं हुआ.

भारत में 2 करोड़43 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके है,जिनमें से 2 करोड़ 4 लाख से अधिक पुनः स्वस्थ हो चुके है, 2 लाख 66 हजार लोगों की मृत्यु हुई है. छत्तीसगढ़ में 9 लाख से अधिक व्यक्ति संक्रमित हुए है ,जिनमें से 8 लाख से अधिक ठीक हो चुके है.

दूसरी लहर में वायरस ने अपने स्वभाव में परिवर्तन किया, जिसे म्यूटेशन कहा जाता है, जिसकी वजह से वायरस अधिक संक्रामक हुआ, अधिक लोगों की मृत्यु हुई. इस बार संक्रमण जो मामले हैं उसमें बहुत सारे क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिसमें पूरी की पूरी बिल्डिंग, पूरा का पूरा मोहल्ला, कई स्थानों में पूरा का पूरा गांव संक्रमण का शिकार हुआ. इनमें से बहुत सारे लोग होम आइसोलेशन में रहकर घरों में ठीक हुए, अनेक सारे लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और उनमें से कुछ को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, कुछ को वेंटिलेटर पर जाना पड़ा और अनेक लोगों संक्रमण बढ़ जाने से की मृत्यु हुई.

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, सरकारें, चिकित्सकों द्वारा जो गाइडलाइन बतायी जाती है उन निर्देशों का पालन करना चाहिए. जैसे मास्क पहनने से संक्रमण नहीं होने, हाथों को बार-बार धोने, सेनेटाइजर का उपयोग करें, लोगों से सोशल डिस्टेन्स बनाकर रखें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर ना जाएं, सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित न करने और न उनमें भाग लेने की सलाह को मानना चाहिए.

जो लोग कोरोना की गाइडलाइन को मान कर बताए निर्देशों का पालन करते हैं, निश्चित रूप से बचने में सफल भी हुए हैं लेकिन अगर कहीं चूक होती है, सुरक्षा का चक्र यदि टूटता है, तो संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, और संक्रमण के उपचार के लिए दवाएं दी जाती हैं. एंटीवायरल दवाएं बुखार के लिए दी जाती हैं. फेफड़े में संक्रमण के लिए तथा उसमें कॉम्प्लिकेशन ना होने उसके लिए जो स्टेरॉयड दिया जाता है, सांसों लेने में तकलीफ लिए ऑक्सीजन दी जाती है, और उसके द्वारा मरीज ठीक हो करके वापस घर आते हैं, और उसके बाद भी सावधानियों का पालन करना चाहिए, मास्क लगाना चाहिए.

ब्लैक फंगस क्या है

ब्लैक फंगस को वैज्ञानिक भाषा में म्यूकोर माइकोसिस कहा जाता है, यह कोई नया फंगस नहीं है, बल्कि यह यह वातावरण में मौजूद रहते हैं, हवा में, मिट्टी में खराब फल, सब्जियां में, धूल में, प्रदूषित पानी में भी मौजूद रहता है. लेकिन यह तब तक हमारे ऊपर असरहीन रहता है, जब तक हमारी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है. अगर किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है, उसमें बीमारियों से लड़ने की ताकत में कमी आती है, तो यह फंगस यह बहुत तेजी से व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है.

इसे ब्लैक फंगस क्यों कहा जाता है

इस फंगस संक्रमण में शरीर पर जो चकत्ते पड़ते हैं, अधिकांश काले रंग के होते हैं इसलिए ब्लैक फंगस कहा जाता है. यह फंगस हमारे शरीर में नाक से प्रवेश करता है, और नाक की जो म्यूकस मेम्ब्रेन होती है, उसको भी संक्रमित करता है. नाक के पीछे जो साइनस होता है, उसको संक्रमित करता है, जबड़े, तालू, जीभ को संक्रमित करता है, और वह धीरे-धीरे आंखों के हिस्से को संक्रमित करने लगता है. यदि सही समय पर सही उपचार ना हो पाए, जानकारी ना हो पाए तो किसी भी व्यक्ति आंखों की नसों व हड्डियों से होते हुए यह संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.

बहुत सारे मरीज यह जानना चाहते हैं कि इस संक्रमण के किन लोगों में होने की संभावना ज्यादा है.

ब्लैक फंगस कोरोना से संक्रमित हुए हर व्यक्ति में नहीं होता.

  • ऐसे व्यक्ति जिन्हें अन कंट्रोल डायबिटीज है, जिनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं आ रही है और उसके कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता घट गई है, ऐसे लोगों को यह फंगस जल्दी ही अपना शिकार बना सकता है.
  • ऐसे व्यक्ति जिनको कोरोना के कारण हुए निमोनिया के चलते बहुत दिनों तक आईसीयू में वेंटिलेटर पर या ऑक्सीजन में रहना पड़ा हो, उन्हें भी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
  • तीसरा ऐसे व्यक्ति जिन्हें लंबे समय तक स्टेरॉयड के चला हो उनकी भी प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है.
  • ऐसे व्यक्ति जो कैंसर की दवा ले रहे हैं, वह भी प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है.
  • ऐसे व्यक्ति जिनको शरीर में कोई अंग प्रत्यारोपण हुआ है और उन्हें लम्बे समय तक स्टेरॉयड दवा चल रही है और प्रतिरोधक क्षमता कम हो. फंगस आसानी से अपना शिकार बना सकता है.

इस संक्रमण के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं…

यह फंगस नाक के रास्ते से प्रवेश करता है इसलिए नाक बंद होना, सर्दी लगना, नाक से पानी आना, दर्द होना, सूजन आना, काले धब्बे दिखाई पड़ना, मुंह में तालू में काले धब्बे दिखाई पड़ना, पलकों में सूजन आना, आंखों का बाहर निकलना, आंखें ठीक से खोल नहीं पाना, आंखों की मूवमेंट में कमी आना, आंख से धुंधला दिखना शामिल है. इसके अलावा संक्रमण अधिक बढ़ने पर सिर में तेज दर्द होना और यदि समय पर उपचार ना हो पाता है तो यह संक्रमण मस्तिष्क में पहुंच जाता है, और मस्तिष्क में होने वाली बीमारियां भी हो सकती है, जैसे पक्षाघात, हाथ पैर अकड़ना और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. लेकिन यह बहुत कम मामलों में होता है. यह हमें ध्यान रखने की आवश्यकता है.

कुछ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आमतौर पर हमारी त्वचा में जो फंगस इंफेक्शन होता है उस फंगस में और ब्लैक फंगस में क्या फर्क होता है.

ब्लैक एक प्रकार का आंतरिक फंगस है, जो शरीर के अंदर की तरफ फैलता है और हमारी त्वचा स्किन में जो फंगस होते हैं, जो त्वचा में खुजली वगैरह दाने पैदा करते हैं. कई बार हमारे पैर में नाखून में, सिर में, पलकों में हो जाते हैं. वे किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए खतरनाक नहीं होता तथा उसका उपचार त्वचा में लगाने वाली क्रीम एंटीफंगल दवा से त्वचा रोग विशेषज्ञ बहुत ही सफलतापूर्वक करते हैं. लेकिन यह ब्लैक फंगस शरीर के आंतरिक अंगों में प्रवेश करता है. हमारी नाक से सायनस में, सांस लेने की नली में, मुंह के अंदर जीभ, तालू, जबड़ा, आंखों के अंदर के हिस्से और ऑर्बिट, मस्तिष्क के हिस्से में प्रवेश कर संक्रमित कर असर डालता है इसलिए इसे अधिक संक्रामक माना जाता है.

कोरोना संक्रमण किसी भी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है. ऑक्सीजन की कमी के चलते बहुत सारे लोग जो घरों में ऑक्सीजन ले रहे हैं, उन्हें भी बहुत सारी सावधानियों का पता नहीं होता. सिलेंडर से एक बोतल आती है, जिसमें स्वच्छ पानी भरा होता है उससे गुजार करके ही ली जाती है, तो उस पानी को बदलना जरूरी होता है. अगर वह पानी पुराना हो जाता है. उसमें फंगस संक्रमण हो सकता है जो वायु ऑक्सीजन के साथ नाक में प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कहा जाता है स्वच्छता और सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता होती है

आइए जानें इसका उपचार क्या है.

यह संक्रमण इम्यूनिटी या प्रतिरोधक क्षमता में कमी से होता है, इसलिए हमें अपनी इम्युनिटी बढ़ाये रखने की आवश्यकता होती है. इसलिए कोरोना ही नहीं हमेशा अपने खानपान में अपनी आदतों में स्वच्छता और सतर्कता एक नियम के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता है. यदि आप किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं, तो आप उसका उपचार लेते रहिए. जैसे अगर आपको डायबिटीज है तो आप ध्यान रखें कि आपका ब्लड शुगर एक नार्मल रेंज में रहे. साथ ही अपने खानपान, स्वच्छता कपड़ों ,नहाने से लेकर शारीरिक फिटनेस का पूरी तरह से ध्यान रखा करें.

यदि कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो कर ठीक हुआ है, और उस को फिर से तकलीफ होती है, उसे चेहरे में नाक पास काले रंग के चकत्ते दिखें, जीभ में तालू में, आंखों के आसपास के हिस्से में अगर काला दाग बढ़ता दिखाई पड़ता है, नाक बंद होने लगती है, दर्द होता है, नाक से पानी आना, नाक से खून निकलना, जबड़े में तालू में और दांतों में दर्द होना गले में दर्द होना पलकों में सूजन आना आंखों में सूजन आंखों में दर्द, सिर में दर्द आदि तकलीफ हो सकती हैं. उसे अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

बीमारी नाक के हिस्से को प्रभावित करती है, मुंह को प्रभावित करती है, आंखों को प्रभावित करती है, इसलिए इसका उपचार करने में नाक-कान-गले के विशेषज्ञ, आंख के विशेषज्ञ, दांत के डॉक्टर की सलाह एवं उनके उपचार की भी आवश्यकता पड़ सकती है. म्यूकोर मयकोसिस फंगस के उपचार के लिए एंटीफंगल दवाओं की आवश्यकता पड़ती है, और साथ ही लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं, जो 3 से 4 हफ्ते तक चल सकती हैं. यदि जल्द ही बीमारी पकड़ में आ जाए, सही डाइग्नोसिस हो जाए तो किसी भी अंग को हानि नहीं होती और व्यक्ति जल्दी से ठीक हो सकता है.

साथ ही एक अंतिम और महत्वपूर्ण बात आज सोशल मीडिया में कोरोना के उपचार के सम्बंध में बाहर सारी भ्रामक और तथ्यहीन बाते आ रही हैं, जिनमें से कुछ अंधविश्वास भरी काल्पनिक और बेसिर-पैर की अफवाहें हैं. लोगों को ऐसी बातों पर भरोसा न कर अपने चिकित्सक पर भरोसा करना करना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए.