बिलासपुर। रायपुर और बिलासपुर नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे खतरनाक बैक्टीरिया युक्त दूषित जल के मामले में कोर्ट कमिश्नरों द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर अपना उत्तर देने के लिए और समय मांगा है. सरकार की ओर से पीएचई के ईएनसी ने अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए और 8 सप्ताह का समय मांगा था जिसे कोर्ट ने नामंजूर करते हुए 3 सप्ताह का ही समय दिया है. कोर्ट ने सरकार को 8 जनवरी 2018 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
आपको बता दें कि रायपुर के दीन दयाल उपाध्याय नगर में रहने वाले मुकेश देवांगन की पत्नी की मौत 2014 में पीलिया से होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें न्यायालय ने अमृतो दास, सौरभ डांगी, और मनोज परांजपे को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर रायपुर और बिलासपुर नगर निगम में पेयजल की स्थिति की जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा था.
इस मामले में कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि रायपुर और बिलासपुर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे पेयजल के सैंपलों की जांच एएनबीएल द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला से कराए जाने के लिए कहा था. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पानी शुद्धिकरण संयंत्रों की लैब में सीसीटीवी कैमरा लगा कर इसकी सतत निगरानी की जाए. संयंत्रों में सुरक्षा के तहत गार्डों को नियुक्त किया जाए. पानी की उन पाइप लाइनों को दुरूस्त किया जाए जो कि नालियों और नालियों से गुजर रही हैं उन्हें और नालों से गुजरने वाली पाइप लाइनों की ऊचाई बढ़ाकर दुरुस्त करवाया जाए.
रायपुर शहर के लिए कोर्ट कमिश्नरों ने इसके अलावा यह भी सुझाव दिया था कि खारुन नदी में मिलने वाले सभी 17 नालों सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर पानी को फिल्टर किया जाए. वहीं अंडर ग्राउंड सीवरेज लाइन को चालू करने का भी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था.