रायपुर- अप्रेल 2021 के पहले सप्ताह से कोरोना की दूसरी लहर ने छत्तीसगढ़ को खतरनाक तरीके से अपने आगोश में लेना शुरु किया था. दुर्ग,राजनांदगांव,कवर्धा,बेमेतरा और रायपुर जिले में कोरोना के आंकड़े भयावह होने लगे और कुछ ही दिनों में छत्तीसगढ़ के हर इलाके से कोरोना संक्रमण के विस्तार की खबरों ने राज्य में दहशत का वातावरण बना दिया था. दूसरी लहर में तेजी से फैलते संक्रमण ने हालात बिगाड़ने शुरु किये. अस्पतालों में बिस्तर की कमीं,वायरस के नये वैरियेंट की भयावहता,सड़कों में दौड़ती एम्बुलेंस की खतरनाक आवाज और मौतों की संख्या में बढ़ोतरी ने वातावरण में अफरातफरी मचा रखी थी. ऐसे कठिन समय में सबकी निगाहें सरकार और उसके मुखिया भूपेश बघेल की ओर थी और सबको सीएम से यही उम्मीद थी कि वे अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन करते हुए छत्तीसगढ़ को आपदा के इस मौके से जल्द बाहर निकालें.
इन तमाम विपरीत परिस्थितियों में सीएम भूपेश बघेल ने अपने सभी दूसरे कार्यक्रम निरस्त कर अपने आपको सीएम हाउस में लॉक किया और अपनी टीम के साथ कोरोना की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिये मजबूती से डट गये. उन्होंने सबसे पहले कलेक्टरों को निर्देश दिये कि संक्रमण की चैन को रोकने के लिये फिलहाल लॉकडाउन ही सबसे मजबूत विकल्प है,इसलिये ज्यादा संक्रमण वाले जिलों में तुरंत लॉकडाउन का आदेश निकाला जाये. सीएम के निर्देश पर सबसे पहले दुर्ग में फिर धीरे धीरे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया.लॉकडाउन के दौरान सीएम भूपेश पूरी तरह सक्रिय रहे और पूरे राज्य में कोरोना नियंत्रण के प्रयासों की मॉनिटरिंग करते रहे. इस दौरान उन्होंने मंत्रियों,अधिकारियों,विपक्ष के नेताओं,स्वास्थ्य अमला और डॉक्टरों, व्यापारियों, पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार वर्चुअल बैठकें की और सभी से कोरोना नियंत्रण के संभावित उपायों पर सलाह मशविरा करते रहे.साथ ही समय समय पर आम जनता को संबोधित कर उनका मनोबल बढ़ाते रहे और समानांतर रुप से वैक्सीनेशन अभियान को जोर शोर से चलाने पर भी बल देते रहे.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इन तमाम प्रयासों का नतीजा सकारात्मक रहा और कोरोना संक्रमण की आक्रामक चैन धीरे धीरे कमजोर होने लगी. शुरुआत में मौतों की संख्या तेजी से बढ़ी,लेकिन सरकार ने ऐसे समय में न केवल निजी अस्पतालों की गतिविधियों को नियंत्रित किया,बल्कि कोविड केयर सेंटरों का विस्तार करने की दिशा में भी तेजी से काम किया,जिसका नतीजा ये हुआ कि कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज का विकल्प दिन बदिन बेहतर तरीके से मुहैया होने लगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता, त्वरित फैसले और मजबूत इरादे के साथ बेहतर प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना की दूसरी लहर को त्रासदी में तब्दील होने से पहले ही थाम लिया. कोरोना के प्रकोप को रोकने में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों , आंगनवाडी कार्यकर्ताओं,सहायिकाओं सहित सभी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया.सीएम भूपेश बघेल ने इन सभी कोरोना योद्धाओं में आपसी समन्वय बेहतर करने पर फोकस किया और समय समय पर इनका मनोबल बढ़ाते रहे. यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की रफ्तार मंद पड़ गयी है. बेहतर प्रबंधन और उचित उपचार के चलते कोरोना संक्रमित मरीजों की रिकवरी भी तेजी से होने लगी है. मुख्यमंत्री ने राज्य में शहरी इलाकों के साथ-साथ गांव में तेजी से पांव पसारते कोरोना की रोकथाम के लिए भी प्रभावी कदम उठाये.उन्होंने लक्षण वाले मरीजों को कोरोना टेस्टिंग के रिजल्ट का इंतजार किए बिना निःशुल्क घर-पहुंच कोरोना दवा किट मुहैया कराने के निर्देश दिये,जिसका नतीजा बेहद सकारात्मक रहा. सीएम भूपेश ने गांवों में लक्षण वाले लोगों को दवा पहुंचाने के निर्देश दिये और इस निर्देश का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया ,जिसका सार्थक परिणाम देखने और सुनने को मिला. इस फैसले का असर ये हुआ कि कोरोना संक्रमित मरीज गंभीर स्थिति में जाने से बचने लगे और इससे हॉस्पिटल में बेड न मिलने की स्थिति बेकाबू होने से रुक गयी.
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रोें में भी कोरोना रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा
कोरोना संक्रमण की पहली लहर को ध्यान में रखते हुए सीएम भूपेश ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ कोरोना टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने पर भरपूर जोर दिया. जनवरी से लेकर मई माह की अवधि में यदि कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो टेस्टिंग की क्षमता 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है. जनवरी और फरवरी माह में रोजाना औसतन 21 से 22 हजार कोरोना सेम्पल टेस्टिंग हो पाती थी, आज की स्थिति में यह आंकड़ा रोजाना 70 हजार से पार हो गया है. टेस्टिंग के चलते कोरोना संक्रमितों की तेजी से पहचान और उपचार ने इस महामारी पर काबू पाने में मदद की है.छत्तीसगढ़ का प्रतिदिन कोरोना टेस्ट 2416 (प्रति 10 लाख जनसंख्या के मान से) है, जो देश के औसत टेस्टिंग 1511 से कहीं अधिक है. वर्तमान में राज्य में 33 शासकीय तथा 6 निजी लैब्स में ट्रू- नाट जांच की सुविधा उपलब्ध है. राज्य के 11 शासकीय लैब एवं 5 निजी लैब में कोरोना की आरटीपीसीआर जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. राज्य के ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी रेपिड एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है ताकि कोरोना संक्रमितों की तेजी से पहचान कर इस महामारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके.
लक्षण वाले लोगों को तत्काल कोरोना दवा देने का फैसला रहा असरकारी
कोरोना के गंभीर प्रकोप की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की राज्य स्तरीय समिति के साथ मिलकर इस दिशा में तेजी से काम करना शुरु किया. उन्होंने कोरोना की रोकथाम एवं उपचार के लिए अनुशंसित दवाओं की किट मितानिनों,स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से राज्य के ग्रामीण इलाकों में घर-घर सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित कोरोना के लक्षण वाले लोगों को बटवानी शुरू कर दी. गांव के लोगों को दवा के साथ एक पर्ची भी दी गयी ,जिसमें दवाओं के सेवन का तौर-तरीका बताने के साथ ही उन्हें होम आइसोलेशन में रहने और सावधानी बरतने की समझाइश दी गई. इसका परिणाम यह रहा कि राज्य देखते ही देखते इस महामारी के संकट से उबरने लगा.
मुख्यमंत्री के विशेष पहल पर राज्य में 6 मेडिकल कॉलेज और एम्स रायपुर सहित 37 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल एवं 154 कोविड केयर सेंटर तैयार किए गए हैं. प्रत्येक जिले में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल स्थापित किया गया है. शासकीय डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 5249 बेड तथा कोविड केयर सेंटर में 16405 बेड स्थापित किए गए हैं. शासकीय डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 555 आईसीयू, 515 एचडीयू एवं इसके अतिरिक्त 2516 ऑक्सीजन युक्त बिस्तर है. इसी तरह शासकीय कोविड सेंटर में स्थापित 16405 बेड में से 3043 ऑक्सीजन युक्त बिस्तर तैयार किए गए हैं. निजी कोविड अस्पतालों में कुल उपलब्ध 9596 बेड, 2399 आईसीयू, 1055 एचडीयू के अलावा 4395 ऑक्सीजन बेड उपलब्ध है. राज्य में शासकीय अस्पतालों में 526 तथा निजी चिकित्सालयों में 625 इस प्रकार कुल 1151 वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है.
45 प्लस के टीकाकरण में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिलों में आईसीयू ऑक्सीजन युक्त बेड की संख्या बढ़ाने और कोरोना मरीजों के इलाज की बेहतर व्यवस्था के लिए जिलों को लगातार वित्तीय सहायता दी . मुख्यमंत्री सहायता कोष से अभी हाल ही में 73 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता जिलों को कोरोना मरीजों के इलाज एवं जरूरतमंदों की मदद की लिए दी जा चुकी है. इससे पहले जिलों को कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगभग 192 करोड रुपए की आर्थिक मदद दी गई थी. छत्तीसगढ़ राज्य 45 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों के टीकाकरण के मामले में देश में छठवें स्थान और हेल्थ वर्कर के टीकाकरण में देश में तीसरे स्थान पर है. राज्य में अब तक 69 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है. राज्य में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं सहित 45 वर्ष से अधिक उम्र और 18 से 44 आयु वर्ग तक के नागरिकों में से अब तक 69 लाख 35 हजार 394 लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है. 45 वर्ष से अधिक उम्र के 44.87 लाख नागरिकों को प्रथम डोज एवं 6.77 लाख लोगों को दोनों डोज तथा 18-44 वर्ष उम्र के 7 लाख 41 हजार 198 लोगों को 24 मई की स्थिति में टीकाकरण किया जा चुका है.
कोरोना मुक्त हुए छत्तीसगढ़ के आधे गांव
वर्तमान में छत्तीसगढ़ के आधे करीब 10 हजार गांव पूरी तरह संक्रमण मुक्त हैं. ये ऐसे गांव हैं जहां या तो संक्रमण नही पहुंच पाया है, या फिर उन्हें संक्रमण से जल्द मुक्ति मिल चुकी है. वर्तमान में इन गांवों में एक भी संक्रमित व्यक्ति नहीं है.सीएम भूपेश बघेल ने समय रहते गांवों तक संक्रमण की रोकथाम के लिए उपाय शुरु किए,जो पूरी तरह सफल दिखाई दे रहा है. राज्य के नगरीय क्षेत्रों में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत होते ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं. इस निर्देश के बाद पहली लहर के दौरान गांवों में स्थापित क्वारंटीन सेंटरों को पहले से अधिक मजबूत व्यवस्थाओं के साथ फिर से सक्रिय किया गया. दूसरे राज्यों या शहरी क्षेत्रों से गांव लौटने वाले व्यक्तियों को इन सेंटरों में ठहराने, उनकी जांच और उपचार की व्यवस्था की गई. घर-घर तक सर्वेक्षण कर संक्रमितों का पता लगाने के लिए मितानिनों और स्वास्थ्य अमले के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को भी सक्रिय किया गया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों ने सर्दी-बुखार के मरीजों की पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार में भी अपनी भागीदारी निभाई.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं कर रहें हैं सतत मानिटरिंग
मुख्यममंत्री के निर्देश पर समय रहते गांव-गांव तक आवश्यक दवाइयों के किट की आपूर्ति और उसका वितरण सुनिश्चित किया गया. जिला पंचायतों से लेकर ग्राम पंचायत तक के नेटवर्क के जरिये कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों की मानिटरिंग का काम स्वयं मुख्यमंत्री कर रहे हैं. वे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जन-प्रतिनिधियों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं, साथ ही फीडबैक के आधार पर अधिकारियों को निर्देशित भी कर रहे हैं. राज्य में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए लगातार नये लैबों की स्थापना की गई. जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं को मजबूत किया गया. अस्पतालों में पूर्व से उपलब्ध बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ नये कोविड सेंटरों की स्थापना कर उपचार सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया गया. ग्रामीण क्षेत्र के गंभीर मरीजों को जल्दी से जल्दी अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके इसके लिए एंबुलेंस तथा अन्य वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई.
राज्य शासन द्वारा माइक्रो लेबल तक की गई चाक- चौबंद व्यवस्थाओं के कारण छत्तीसगढ़ के कुल 20 हजार 092 गांवों में से करीब आधे 9 हजार 462 गांव आज कोरोना के संक्रमण से मुक्त हैं. इसमें बालोद जिले के 704 में से 183 गांव, बलौदाबाजार जिले के 957 में से 402, बलरामपुर के 636 में से 102, बस्तर जिले के 589 में से 252, बेमेतरा जिले के 702 में से 311, बीजापुर जिले के 579 में से 491, बिलासपुर जिले के 708 में से 96, दंतेवाड़ा के 229 में से 158, धमतरी के 633 में से 176, दुर्ग के 385 में से 377, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 222 में से 39, गरियाबंद के 722 में से 342 गांव संक्रमण मुक्त हैं. इसी तरह जांजगीर-चांपा जिले के 887 में से 150 गांव, जशपुर के 766 में से 319, कांकेर के 1084 में से 792, कबीरधाम के 1035 में से 832, कोंडागांव के 569 में से 407, कोरबा के 716 में से 280, कोरिया के 638 में से 352, महासमुंद के 1153 में से 532, मुंगली में 711 में से 338, नारायणपुर में 422 में से 362, रायगढ़ में 1435 में से 173, रायपुर में 478 में से 261, राजनांदगांव में 1599 में से 1204, सुकमा में 406 में से 194, सुरजपुर में 544 में से 140 और सरगुजा जिले में 583 गांव में से 197 गांव संक्रमण मुक्त हैं.