रायपुर– आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण वनवासियों के जीवकोपार्जन में प्राचीन काल से ही अहम भूमिका निभाता आया है. राज्य का 44 फीसदी से ज्यादा भूभाग वनों से आच्छादित है और वन संपदा से भरपूर इस राज्य में वनोपज संग्रह लोगों की जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा रहा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने शुरु से ही वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के विकास को अपने सरकार की प्राथमिकता में रखा है. वनांचलों में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य करने वालों की सुविधाओं पर सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने हमेशा फोकस किया है और समय समय पर इनके हित संवर्धन की दिशा में अहम फैसले किये हैं. खास तौर पर कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसे विपरीत परिस्थितियों में भी सरकार ने वनवासियों के हितों का खयाल रखा और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद तेंदूपत्ता संग्रहण के कार्य को निर्बाध गति से चलने दिया है.
पिछले साल भी विश्वव्यापी कोरोना महामारी के दौर में राज्य सरकार के प्रयासों से रिकार्ड तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया था. उस दौरान सरकार ने वन संपदा के संग्रहण, खरीदी-बिक्री को तमाम सुरक्षा मानकों के बीच जारी रखने का फैसला किया. आदिवासियों की जीविका सबसे बड़ा आधार लघु वनोपज के मद्देनज़र सरकार ने इस मामले में अपनी नीति-नीयत को बेहद साफ रखा है. लॉकडाउन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए तय किया कि आदिवासियों की पूँजी को बेकार जाने नहीं दिया जाएगा. लघु वनोपज से आदिवासियों को सालाना होने वाली आय पर किसी तरह के संकट का प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा. नतीजा ये कि छत्तीसगढ़ ने लघु वनोपज की 90 प्रतिशत से अधिक की खरीदी कर पूरे देश में नंबर वन होने का गौरव हासिल कर एक रिकॉर्ड बना लिया था. इस साल भी कमोबेश वैसी ही परिस्थिति में वनांचलों में तेंदूपत्ता का संग्रहण जारी है और स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों का भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य तेजी से जारी है. चालू वर्ष 2021 के दौरान अब तक निर्धारित लक्ष्य के अनुरुप तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा रहा है. इस वर्ष राज्य में 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य है और इसका संग्रहण दर वर्ष 2021 में 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा निर्धारित की गई है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में जिलेवार कोरोना संक्रमण की स्थिति के संबंध में ली गई समीक्षा के दौरान निर्देशित किया था कि राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण कार्य को भी निरंतर जारी रखा जाए, ताकि जरूरतमंदों को रोजगार के लिए भटकना न पड़े और उनकी अतिरिक्त आमदनी भी सुनिश्चित हो. इनमें लघु वनोपजों के संग्रहण के दौरान कोविड-19 के गाइडलाईन तथा आवश्यक सावधानियां का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. इस संबंध में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने भी प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी को सभी वन मंडलों में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.
तेंदूपत्ता संग्राहकों को संकट काल में मिला बेहतर रोजगार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में वनों के विकास सहित वनवासियों के हित में योजनाओं का कुशलतापूर्वक संचालन जारी है. इसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में वन विभाग द्वारा वर्ष 2020-21 में कोरोना संकट के बावजूद लोगों को लघु वनोपज संग्रहण सहित विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं के तहत 5 करोड़ 23 लाख मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया. छत्तीसगढ़ में इस साल भी कोरोना काल एवं बेमौसम बारिश की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 12.80 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण किया जा चुका है. 12.09 लाख संग्राहकों द्वारा यह तेंदूपत्ता संग्रहण किया गया है, जिन्हें 512 करोड़ रूपये संग्रहण पारिश्रमिक का वितरण किया जाएगा. राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण के यह आंकड़े इसलिए भी उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी एवं खराब तेंदूपत्ता सीजन के कारण पूरे देश में तेंदूपत्ता के संग्रहण में 30-40 प्रतिशत की कमी आई है. छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना काल एवं मौसम की दिक्कत के बावजूद भी संग्राहकों से तेंदूपत्ता एवं अन्य लघु वनोपजों का क्रय कर रही है. इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है एवं आय प्राप्त हो रही है.
बस्तर संभाग में 4 लाख 24 हजार मानक बोरा का संग्रहण
इस वर्ष पूरे मई माह में पूरे प्रदेश में विशेषकर बस्तर संभाग में लगातार बारिश होती रही है. कोरोना संकट के इस दौरान में हाल ही दो शक्तिशाली समुद्री तूफान ताउते और यास ने मौसम को प्रभावित किया. यास चक्रवात के कारण प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में वर्षा हो रही है. इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी बस्तर संभाग में 28 मई 2021 की स्थिति में 4,24,118 मानक बोरा का संग्रहण किया जा चुका है जो कि लक्ष्य का 84 प्रतिशत है.
संग्राहकों को नगद भुगतान की स्वीकृति
कोरोना की स्थिति को देखते हुए पूरे बस्तर संभाग में संग्राहकों को तत्काल पारिश्रमिक की राशि मिल सके, इस हेतु नगद भुगतान की स्वीकृति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदान की गई है. तेंदूपत्ता संग्रहण से बस्तर संभाग में 170 करोड़ रूपये संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है, जिसमें से 40 प्रतिशत राशि का भुगतान हो चुका है.
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 तेंदूपत्ता सीजन में अत्यधिक बारिश हुई, जिसके कारण भी तेंदूपत्ता संग्रहण प्रभावित हुआ. विपरीत परिस्थितयों के बावजूद भी 389.20 करोड़ रूपये की पारिश्रमिक राशि का वितरण संग्राहकों को किया गया है. कोरोना काल में जहॉ अन्य समस्त गतिविधियॉ लगभग बंद थी,वहीं तेंदूपत्ता से 11.76 लाख संग्राहकों को रोजगार प्रदान किया गया.
लघु वनोपज उपार्जन में देश में प्रथम स्थान
तेंदूपत्ता के साथ-साथ लघु वनोपज के संग्रहण में भी राज्य की भूपेश सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. ऐसे समय में जब छत्तीसगढ़ राज्य कोरोना महामारी से पिछले एक वर्ष से जूझ रहा है तथा गांव से लेकर शहरों तक गरीबों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, राज्य सरकार ने लघु वनोपज का रिकार्ड उपार्जन करते हुए न केवल देश में प्रथम स्थान पाया है, बल्कि लगभग 6 लाख परिवारों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराया है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने से संग्राहकों को 300 करोड़ रू. की अतिरिक्त आय
राज्य सरकार ने विभिन्न लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य 15 से 30 प्रतिशत बढ़ाया है, जिससे भी संग्राहकों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 300 करोड़ रूपये से अधिक की अतिरिक्त आय हुई. लघु वनोपज के साथ-साथ अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी एवं रागी का भी छ.ग. राज्य लघु वनोपज के माध्यम से न्यूनतम मूल्य पर क्रय किये जाने का निर्णय लिया गया है. आगामी सीजन में कोदो एवं कुटकी 3000 रू. प्रति क्विंटल की न्यूनतम दर पर क्रय किया जावेगा, इसके साथ ही लाख को भी कृषि का दर्जा देते हुए लगभग 4000 किसानों को ब्याज रहित ऋण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है.
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जताई संतुष्टि
सीएम भूपेश बघेल की मंशा के अनुरुप वन मंत्री मोहम्मद अकबर तेन्दूपत्ता संग्रहण के कार्य की सतत मॉनिटरिंग कर रहें हैं. वन मंत्री ने इस बात पर बेहद संतुष्टि जाहिर की है कि राज्य में वर्तमान में कोरोना संकट के बावजूद आदिवासी-वनवासी संग्राहक परिवारों के हित में तेन्दूपत्ता का संग्रहण कार्य जोरो पर है और संग्राहकों का शीघ्रता से भुगतान जारी है. उन्होंने कहा कि तेन्दूपत्ता के संग्रहण कार्य से संग्राहक परिवारों को अपना जीवकोपार्जन आसान हो गया है और उन्हें वैश्विक महामारी कोरोना के इस संकट की घड़ी में भी रोजी-रोटी की कोई समस्या नहीं है. इससे तेन्दूपत्ता संग्राहकों को रोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी बड़े तादाद में होने लगी है.
वन मंत्री अकबर ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2021 में तेन्दूपत्ता संग्रहण कर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा निर्धारित की गई है. राज्य में वर्तमान में तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य से लगभग 13 लाख आदिवासी-वनवासी संग्राहक परिवारों को सीधा-सीधा लाभ मिल रहा है. इसके संग्रहण कार्य माह मई तथा जून में दो माह के भीतर संग्राहकों को 668 करोड़ रूपए की राशि के संग्रहण पारिश्रमिक का वितरण किया जाएगा.उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए संग्रहण के दौरान संग्राहकों को शासन के दिशा-निर्देशों सहित कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन कराया जा रहा है.
तेन्दूपत्ता संग्राहकों ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि सीएम भूपेश बघेल और उनकी सरकार के द्वारा संचालित तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य से हमें अपने जीवन-यापन के लिए बहुत बड़ी सुविधा हो गई है. इससे हमें वर्तमान में कोरोना संकट की घड़ी में भी कोई परेशानी नहीं हो रही है और इसके संग्रहण से अतिरिक्त आमदनी भी मिल रही है. संग्राहकों द्वारा यह भी बताया गया कि चालू सीजन के दौरान अभी एक-एक सप्ताह में 15 से लेकर 30 हजार रूपए तक की राशि पारिश्रमिक के रूप में प्राप्त हो चुकी है.
छत्तीसगढ़ सरकार तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के हितों का भी पूरा-पूरा ध्यान रख रही है. भूपेश सरकार द्वारा राज्य में तेंदूपत्ता संग्राहण दर की राशि बढ़ाने से जहां एक ओर संग्राहकों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है तथा रोजगार के साधन उपलब्ध हुए हैं, वहीं दूसरी ओर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मेघावी छात्र तथा छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए भरपूर प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है. राज्य में इसके तहत तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के मेघावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार, प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति तथा व्यावसायिक कोर्स हेतु छात्रवृत्ति और गैर-व्यावसायिक स्नातक कोर्स हेतु अनुदान प्रदाय करने की योजना भी लागू है.