महोबा. आज भी आधुनिक कहे जाने वाले समाज में सामाजिक कुरीति की दीमक इंसानियत को खा रही है. आजादी के कई सदी बीतने के बाद भी आज भी दिमागी गुलामी की जंजीर में लोग जकड़े हुए हैं. वहीं अपने को उच्च जाति कहने वाले कई संकीर्ण सोच के लोग कुरीतियों की आड़ में दलितों को प्रताड़ित कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही रिवाज एक गांव में चल रहा है. यहां अभी तक कोई भी दलित को विवाह में घोड़ी पर चढ़कर बारात नहीं निकालने दिया गया है. इस पुरानी परम्परा को ठुकराते हुए एक युवक अलखराम सिंह ने घोड़ी चढ़कर बारात निकालने का निर्णय लिया है. उन्होंने पुलिस को पत्र सौंपकर सुरक्षा की गुहार लगाई है.
महोबा के माधवगंज गांव में एससी वर्ग के लोगों की शादी में दूल्हा घोड़ी से चढ़कर नहीं निकलता है. गांव के लोगों का कहना है कि जब से होश संभाला है, तब से गांव में एससी वर्ग की शादी में दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर बारात नहीं निकाल सकता. पीढियों से चली आ रही इस परंपरा का वह भी मानते हुए चले आ रहे है. ग्रामीणों का कहना है कि बाप दादाओं ने शादी में दूल्हा के घोड़ी पर सवार न होने की बात कही जिसका पालन करते आए है. अब युवक अलखराम ने 18 जून को होने वाले अपने विवाह में बारात घोड़ी पर चढ़कर निकालने का निर्णय लिया है.
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समाजिक कुरीतियों को तोड़ने के लिए युवक ने शादी में घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालने में पुलिस से सहायता की मांग उठाई है. थाना पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया है कि गांव में अब तक दलित वर्ग के लोगों की बारात में दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर बारात नहीं निकालता है, ऐसे में उनके द्वारा सामंतवादी विचारधारा के खात्मा के लिए किए जा रहे कार्य में कुछ अराजकतत्व व्यवधान उत्पन्न कर सकते है.
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