रायपुर। जीएसटी की बकाया राशि केंद्र से नहीं मिलने का आरोप राज्य सरकार ने लगाया था. अब इन आरोपों पर पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. राज्य सरकार सिर्फ भ्रम फैलाने की कोशिश करती है. केंद्र सरकार की आलोचना के लिए राज्य इन मुद्दों को उठाती है. सिर्फ पेपरबाजी और राजनीतिक माहौल के लिए कई दूसरे प्लेटफार्म भी हैं.
अमर अग्रवाल बोले कि छत्तीसगढ़ की सरकार केंद्र की आचोलना के लिए सारे मुद्दे उठाती है. यह राजनीतिक कारण है. 15 साल हमारी भी सरकार रही, उसमें दस साल केंद्र में यूपीए की सरकार थी. सरकार एक उदाहरण बता दें कि हमने यह कहा हो कि केंद्र सरकार पैसे नहीं देती? केंद्र और राज्य के अधिकार संवैधानिक तरीके से पूरी तरह से बंटे हुए हैं. पैसे राज्यों को कैसे मिले, इसके अपने नियम है. केंद्र सरकार चाहे किसी की भी हो, राज्यों के संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकती.
पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी में यह कभी नहीं कहा गया है कि भारत सरकार राज्यों की क्षतिपूर्ति करेगी. यह कहा गया था कि पांच सालों तक राज्यों को होने वाली हानि की भरपाई जीएसटी काउंसिल करेगी. यह काउंसिल सभी की है.
जीएसटी में कोयले, तंबाकू, लग्जरी आपूर्ति में जो सेस लगे हैं. वह क्षतिपूर्ति के हिसाब से ही लगे हैं. इससे ही राज्यों के नुकसान की भरपाई होगी.
क्षतिपूर्ति की राशि यदि जीएसटी काउंसिल पूरी नहीं करेगी, तो राज्य के हितों का क्या होगा? यह सवाल हमने भी उस वक्त उठाया था. तब यह तय हुआ था कि बैंक से लोन लेकर क्षतिपूर्ति की जाएगी. भविष्य में बैंक का लोन जीएसटी काउंसिल पूरी कर देगी.
विषय यह आया था कि लोन भारत सरकार ले या राज्य सरकार. केंद्र ने राज्यों से अनुरोध किया था कि लोन ले लें, लेकिन राज्यों ने मना किया था. इसके बाद केंद्र ने खुद लोन लेकर राज्यों को देने की बात मान ली.
अभी कोरोना का वक्त आया, राजस्व की कमी हुई, सेस की राशि कम प्राप्त हुई, तब राज्यों ने भी फिर ये मुद्दा उठाया.
पेपरबाजी, चिट्ठी, माहौल राजनीति करने के बहुत से प्लेटफार्म हैं, लेकिन जहां रिवेन्यू और अधिकारों का सवाल है, यह पूरी तरह से कानून में उल्लेखित है. इसे राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. यह भ्रम फैलाने की कोशिश है.
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