रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और पूर्व विधायक रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान से साफ़ हो गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की दिवालिया हो चुकी है. सरकार अपना घाटा पूरा करने के लिए लगातार पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ा रही है. जनता की जेब काटकर अपना खजाना भर रही है. उन्होंने कहा कि कहने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों की क़ीमत तय करने का जिम्मा पेट्रोलियमन कंपनियों पर है, लेकिन एक्साइज़ टैक्स तो नरेंद्र मोदी ही बढ़ा रहे हैं. चुनाव के समय कीमतें रोकने का फ़ैसला भी मोदी सरकार का ही था.
रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान झूठ बोल रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोलियम के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सच यह है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल के जो दाम थे, उसकी तुलना में इस समय कच्चे तेल के दाम बहुत कम हैं. सच यह है कि नरेंद्र मोदी की ख़राब अर्थ नीति की वजह से केंद्र सरकार का खजाना खाली हो गया है. मोदी को समझ में नहीं आ रहा है कि इसे कैसे ठीक किया जाए. उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्होंने देश की जनता की जेब काटकर अपना ख़जाना भरने का तरीक़ा निकाला है. मोदी को संभवतः समझ में नहीं आ रहा है कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ाने के दूरगामी परिणाम होते हैं. हर खेती किसानी से लेकर हर उपभोक्ता वस्तु पर इसका असर पड़ता है.
उन्होंने कहा है कि पेट्रोलियम मंत्री अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रुड ऑयल की कीमतों के लेकर शुरू से ही लगातार झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, उस वक्त अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रुड ऑयल की कीमत गिरकर 44 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका श्रेय स्वयं की किस्मत को दिया था. तब भी केन्द्र सरकार ने क्रुड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट से जनता को राहत देने के बजाए इस पर भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं की. तब से यह सिलसिला बदस्तुर आज भी जारी है.
इसके विपरित यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर से 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, तब डॉ. मनमोहन सिंह ने एक्साइज ड्यूटी में कमी कर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाम लगाई थी. तब देश में पेट्रोल 74 रुपए और डीजल 58 रुपए प्रति लीटर पर मिल रहा था. लेकिन मोदी सरकार का उल्टा अर्थशास्त्र वर्ष 2014 से चल रहा है. आज पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 रुपए के पार पहुंच गई है.
रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार एक्याइज ड्यूटी में लगातार बढ़ोत्तरी करती आई है, जबकि विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर वेट दरें 2014 से आज तक यथावत् है. पेट्रोलियम मंत्री एक्साइज ड्यूटी की बढोत्तरी से ध्यान भटकाने के लिए हमेशा राज्यों को सलाह देती है कि वे वेट की दरों में कमी करके राहत पहुंचाए. जी.एस.टी के बाद राज्यों के पास राजस्व का स्रोत पेट्रोल-डीजल पर वेट टैक्स ही शेष रह गया है.
मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के माध्यम से 22 लाख करोड़ रुपए जनता से लूट लिए और कार्पोरेट घरानों की कंपनियों के कार्पोरेट टैक्स में 10 प्रतिशत कमी करके उन्हें 1,46,000 करोड़ रुपए का टैक्स बेनीफीट दिया. केंद्र सरकार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 20000 करोड़ रुपए खर्च कर रहीं है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए दो नये हवाई जहाज 16000 करोड़ रुपए में खरीदे जा रहे हैं. मोदी सरकार की यही असली पहचान है.
उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से जहां रेल-बस सफर महंगा होगा. वहीं ट्रक परिवहन के बढ़ने से आम उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होंगी. किसान की खेती की लागत बढ़ जाएगी और कोरोना काल में घटती आमदनी के बोझ तले आम-आदमी पर महंगाई की मार पड़ेगी.
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