रायपुर. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को टीम राहुल में शामिल करने और पीसीसी के अध्यक्ष पद से हटाने की चर्चाएं सियासी गलियारों में उड़ रही हैं. उनके शपथ लेते ही इस तरह की ख़बर कांग्रेस के साथ बीजेपी खेमे में तैरने लगी. हालांकि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा.

जो चर्चाएं सुनाई पड़ रही हैं उसके मुताबिक कई तरह की बातें सामने आ रही है. हालांकि इन बातों का सच्चाई से कितना नाता है ये कोई भी कांग्रेसी नेता बताने को तैयार नहीं है. पहली चर्चा के मुताबिक भूपेश बघेल के राहुल गांधी की टीम में शामिल होने की चर्चा है. जबकि उनकी जगह चरणदास महंत या फिर ताम्रध्वज साहू को अध्यक्ष बनाने की चर्चा है.

एक और समीकरण के मुताबिक वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को पार्टी अध्यक्ष बनाकर तीन-तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का है. जिसमें चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू और सत्यनारायण शर्मा के नाम हैं. हालांकि एक चुनाव में कांग्रेस इस फार्मूले को अपनाकर पिट चुकी है.

चर्चा ये भी है कि नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका बदल दी जाए. यानि टीएस सिंहदेव को प्रदेश अध्यक्ष और भूपेश को नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी सौंप दी जाए. दरअसल, ये सवाल इसलिए जो़र मार रहा है क्योंकि पार्टी में वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल से नाराज़ बताए जाते हैं. भूपेश की कट्टर समर्थक छाया वर्मा के बयान से वरिष्ठ नेता नाराज़ हैं.  और अब सीडीकांड में सीबीआई का शिकंजा अगर भूपेश पर कसता है तो ऐसी स्थिति में पार्टी क्या करेगी.

चर्चाओं को जो़र इस बात के आधार पर है कि कांग्रेस में भूपेश बघेल राहुल गांधी की गुडबुक में माने जाते हैं और राहुल को अपनी नई टीम में ऐसे लोगों की ज़रूरत है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या चुनावी साल में कांग्रेस ये जोखिम ले पाने की स्थिति में है. क्या भूपेश बघेल जैसी सक्रियता का कोई विकल्प पार्टी में है.

सवाल ये भी है कि भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात खुद राहुल गांधी समन्वय समिति की बैठक में कह चुके हैं. क्या वो इस बार अपनी बात से पीछे हटेंगे. आकाकमान के सामने एक तरफ कांग्रेस के दूसरे सभी वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी और शिकायतें है. दूसरी ओर पार्टी में ज़मीन पर काम करने वाले नेता का अकाल.

जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी की ताजपोशी के मौके पर भी भूपेश बघेल ने काफी सक्रिय होकर बाकी कांग्रेसियों से उन्हें मिलवाया. उनकी बॉडी लैंग्वेज इन उन्हें हटाए जाने की ख़बरों के विपरीत था.

दिल्ली के पार्टी के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक अगर वरिष्ठ नेताओं के दबाव में भूपेश को बदलने की ज़रूरत महसूस होती है तो भी इस बात की संभावना ज्यादा है कि भूपेश और टीएस की भूमिकाएं बदल दी जाएं हांलाकि इसकी संभावना कम ही है.