रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार द्वारा महज 72 रुपये MSP बढ़ाए जाने को किसानों के साथ धोखा बताया. उन्होंने पिछले एक साल के महंगाई दर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस बीच 7-8 प्रतिशत के आसपास महंगाई बढ़ चुकी है. ऐसे में फ़सलों के दाम तीन-साढ़े तीन प्रतिशत बढ़ाना किसानों के साथ मज़ाक़ नहीं है तो क्या है ?.

’72 रुपये MSP बढ़ाना किसानों से मजाक’

विकास उपाध्याय ने कहा कि मोदी सरकार की तरफ़ से बढ़ाई गई MSP से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला. उन्होंने कहा कि इससे तो यही लगता है कि सरकार ने किसानों को आंदोलन करने की सज़ा दी है, जिसे इन दो महत्वपूर्ण कारणों से समझ जा सकता है. पहला तो ये क्योंकि एक तरफ़ तो ये बहुत कम है. दूसरा किसानों के पास MSP पर फ़सल बेचने की गारंटी नहीं है.

विकास उपाध्याय ने केंद्र पर साधा निशाना

विकास उपाध्याय ने इसे मोदी सरकार का बहुत बड़ा चाल बताया. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं. इन पांच राज्यों में भाजपा की हालत किसान आंदोलन के कारण और भी दुर्गति हो गई है. ऐसे में भाजपा की मोदी सरकार किसानों को साधने की कोशिश कर रही है.

विकास उपाध्याय ने आरोप लगया इस मामूली बढ़ोतरी से स्पष्ट है कि मोदी सरकार को किसानों के आर्थिक हितों की परवाह नहीं है. बल्कि इन राज्यों में सत्ता की चिंता है. कृषि करने डीज़ल, मशीनरी, बीज, खाद सब महंगा हो गया है. कृषि क्षेत्र को मज़दूर भी नहीं मिल रहे हैं. किसानों पर डीज़ल के ज़रिए टैक्स का बोझ भी बहुत ज़्यादा हो गया है. पिछले एक साल के भीतर ही डीज़ल के दामों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है. इसके अलावा खाद के दाम भी बढ़े हैं. ऐसे में सरकार ने MSP बढ़ाते समय महंगाई और किसानों की लागत बढ़ने का ध्यान नहीं रखा है.

विकास उपाध्याय ने रिज़र्व बैंक के आकलन का जिक्र करते हुए बताया इस साल कंज़्यूमर प्राइस इंडेक्स 5.1 प्रतिशत रहने वाला है. सरकार ने जो 72 रुपये एमएसपी बढ़ाई है उससे महंगाई की भी पूर्ति नहीं होती है, इससे साफ़ है कि मोदी सरकार जो बार-बार बोलती है कि किसानों की आमदनी दोगुना करने वाली है. वह महज एक जुमला है. किसानों को कोई आर्थिक लाभ नहीं होने वाला है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है की मोदी सरकार एमएसपी की घोषणा जब करी वो प्रतिशत में इसे नहीं बताई है. क्योंकि प्रतिशत का आंकड़ा बहुत शर्मनाक होता है. अभी मूंग की फ़सल का MSP लगभग एक प्रतिशत बढ़ा है. वहीं जब वेतन भत्ते बढ़ाए जाते हैं तो प्रतिशत में बताया जाता है, क्योंकि उसका प्रतिशत ज़्यादा होता है.

विचार करिए आपका एक प्रतिशत वेतन बढ़ेगा तो कैसा लगेगा? क्या सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी स्वीकार करेंगे. किसान की दुर्दशा ये है कि जो MSP सरकार घोषित कर रही है, वो उसे क़ानूनी अधिकार के तौर पर मांग भी नहीं सकता है. बीजेपी को किसान आंदोलन की वजह से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में राजनीतिक नुक़सान उठाना पड़ा है. आगे और भी नुकसान होने वाला है. किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी में अंदरूनी कलह बन गया है, लेकिन फिर भी केंद्र सरकार कॉर्पोरेट हित छोड़कर किसानों के हित में बात करने को तैयार नहीं है.

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