रमेश सिन्हा,पिथौरा (महासमुंद)। छत्तीसगढ़ के महासमुंद, कांकेर समेत कई जिलों में रोजगार सहायकों के सामने दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं. भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. मनरेगा में रोजगार सहायक के पद पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. लेकिन काम बराबर कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें अपने परिवार को चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
महासमुंद में हैं 500 रोजगार सहायक
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में सबसे कम वेतन (5 हजार) पर रोजगार सहायक काम कर रहे हैं. महासमुंद जिले में करीब 500 रोजगार सहायक हैं, जिन्हें 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. अकेले पिथौरा विकासखण्ड के 126 ग्राम पंचायतों में कार्यरत करीब 100 रोजगार सहायक है. वेतन नहीं मिलने के कारण आर्थिक और मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं. वो कर्ज लेकर घर चलाने को मजबूर है.
कई जिलों में है यही स्थिति
प्रदेश के महासमुंद जिले में अकेले यह स्थिति नहीं है, बल्कि कांकेर समेत कई जिलों में रोजगार सहायकों को वेतन नहीं मिला है. इसके अलावा मनरेगा के शाखा में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को भी 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. जिसमें इंजीनियर, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर और लिपिक शामिल है. जबकि पूरे कोरोना काल में मनरेगा का काम जारी था. जान जोखिम में डालकर काम करने वाले कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिलना समझ से परे है.
फील्ड में लगातार काम कर रहे रोजगार सहायक
कोरोना महामारी के दौरान भी वेतन नहीं मिलना ज्यादा पीड़ादायक है. वेतन के अभाव में आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. उधारी लेकर काम चला रहे हैं. पारिवारिक जरूरतों की पूर्ति मुश्किल से हो पा रही है. पंचायत विभाग लगातार रोजगार सहायकों से काम ले रही है. ताकि ग्रामीणों को मनरेगा के तहत 150 दिन का रोजगार उपलब्ध हो सके. इसके लिए रोजगार सहायकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. बावजूद इसके इन कर्मचारियों को पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला है.
दुकानदारों ने भी उधार देने से किया इंकार
कौहाकुडा पंचायत के रोजगार सहायक राजेश बंजारे का कहना है कि उनको 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. दुकानदारों ने भी उधार देने से मना कर दिया है. हम सब रोजगार सहायकों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई है. कोरोनो से ज्यादा खतरनाक, हमारी उधार की जिंदगी हो गई है. मानसिक रूप से हम सभी परेशान हैं.
कर्मचारी मनरेगा शाखा के मनीषा वर्मा का कहना है कि तीन महीने से वेतन नहीं मिला. धमतरी से आकर पिथौरा मनरेगा शाखा में नौकरी कर रही हूं. मकान मालक किराये के लिए तंग करते हैं. राशन दुकान में भी बिल ज्यादा है. दुकानदार का फोन आता है, पैसा जमा करने के लिए मानसिक आर्थिक रूप से परेशान हूं.
जंघोरा के रोजगार सहायक जय लाल निषाद ने बताया कि 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. मेरे घर में तनाव की स्थिति है. बहुत परेशान है हम सभी रोजगार सहायक, घर में खाने को कुछ भी नहीं है. मेरे पूरे परिवार मेरे ऊपर ही आश्रित है, बहुत ही दयनीय स्थिति है. मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है.
शासन को भेज दिया गया है वेतन संबंधी पत्र
इस मामले में मुख्य जनपद पंचायत अधिकारी प्रदीप प्रधान ने कहा कि शासन को वेतन संबंधी पत्र भेजा गया है. जिला प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है. अधिकारी का कहना है कि रोजगार सहायकों को 5 महीने से वेतन नहीं मिला है.
जिला प्रशासन ही जानें कब होगा भुगतान
कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा शाखा गौरी शंकर पैकरा ने बताया कि पांच महीने से वेतन रोजगार सहायकों को नहीं मिला है. वेतन संबंधी मांग पत्र भेजा जा चुका है. अभी तक ऐलाटमेंट नहीं आया है. अब जिला प्रशासन ही बता पाएगी कि रोजगार सहायकों को कब तक वेतन भुगतान होगा.
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