नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में जारी संघर्ष को लेकर चिराग पासवान ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. चाचा पशुपति पारस के साथ जारी विवाद को लेकर चिराग ने कहा कि जब मैं बीमार था, तब मेरे पीठ पीछे पार्टी को तोड़ने की साजिश रची गई. इस बार की होली पर परिवार का कोई भी व्यक्ति साथ नहीं था. मैंने अपनी चिट्ठी में चाचा से बात करने की अपील की थी.

‘चाचा को बना देता संसदीय दल का नेता’

चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार सिर्फ संसदीय दल और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय दल के नेता को चुन सकता है. अगर चाचा कहते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना दिया जाता. अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो संविधान के अनुसार अभी भी वही अध्यक्ष हैं.

पापा के निधन के बाद से मुश्किलें
चिराग पासवान ने कहा कि 8 अक्टूबर को पिताजी का निधन हुआ और उनके बाद ही चुनाव आ गया था. वो काफी मुश्किल वक्त था, लेकिन चुनाव के दौरान लोगों ने हमें बड़ा समर्थन दिया. हमें 25 लाख से अधिक वोट मिले. चिराग पासवान ने कहा कि जदयू की वजह से हम गठबंधन से अलग हुए थे और अकेले चुनाव लड़ा था.

‘शेर का बेटा हूं’

चिराग पासवान बोले कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं.. ना मैं पहले डरा हूं और ना ही आगे डरूंगा. बिहार की जनता हमारे साथ है, जनता दल यूनाइटेड की तरफ से बांटने की कोशिश की जा रही है. इन्होंने पहले भी दलितों को बांटने की कोशिश की है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी में ही लोग दगा दे रहे हैं तो वह क्या कर सकते हैं. लोजपा सांसद प्रिंस पासवान पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर चिराग पासवान ने कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुना था और पुलिस के पास जाने की सलाह दी थी.

पशुपति पारस गुट द्वारा लगाए गए आरोपों पर चिराग पासवान ने कहा कि अगर किसी फैसले पर दिक्कत थी, तो तभी बात कहनी थी. चुनाव के 6 महीने बाद विरोध जताने का क्या मतलब नहीं है. मेरे चाचा पशुपति पारस ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई.

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