रायपुर। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने बारिश में जलजनित रोगों से बचाव के लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति और पेयजल की स्वच्छता की लगातार मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने सभी जिलों के कलेक्टर्स को परिपत्र जारी कर इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं. उन्होंने इसके लिए नगरीय निकायों, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और स्वास्थ्य विभाग को समन्वय के साथ काम करने को कहा है.
पेयजल आपूर्ति के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर्स को जारी परिपत्र में कहा कि बारिश के मौसम में उल्टी-दस्त, आंत्रशोध, टॉयफाइड और पीलिया जैसे जलजनित रोगों के बढ़ने की संभावना रहती है. इनसे बचाव के लिए लोगों को स्वच्छ पेयजल प्रदान करना और पेयजल की स्वच्छता की लगातार मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है. विभाग ने तत्काल शहरी क्षेत्रों में पाइपलाइनों की मरम्मत, पेयजल के लिए उपयोग होने वाले ट्यूबवेलों में क्लोरीन डालने, पेयजल में रेसिडुअल क्लोरीन और कोलीफार्म बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए टेस्टिंग और इन सभी कार्यों की कड़ाई से नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.
‘स्वच्छता की लगातार करें मॉनिटरिंग’
परिपत्र में कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है कि नगरीय निकायों और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से सभी शहरी क्षेत्रों में पेयजल पाइपलाइन का तत्काल निरीक्षण कराएं. उन्हें यह सुनिश्चित करने कहा गया है कि पाइपलाइन नालियों के भीतर और टूटी-फूटी नहीं रहें. चालू जून माह के अंत तक यह काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. पेयजल के लिए उपयोग होने वाले सभी ट्यूबवेलों में क्लोरीन डालने का काम भी इस महीने के अंत तक पूर्ण करने कहा गया है.
कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी वाला जल पीने योग्य नहीं रहता है. इसलिए पेयजल की नियमित जांच जरूरी है. स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स, स्टोरेज टंकियों और घरों से सैंपल लेकर पानी की गुणवत्ता की लगातार जांच करने कहा है. किसी सैंपल में कोलीफार्म बैक्टीरिया मिलने पर उस जलस्रोत से जलप्रदाय तत्काल रोकने और बैक्टीरिया के अनुपस्थित होने पर ही दोबारा जलप्रदाय शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.
इस तरह के प्रभावित क्षेत्रों में टैंकर या किसी अन्य तरह से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था करने कहा गया है. विभाग ने कोलीफार्म बैक्टीरिया की जांच के लिए लिए जाने वाले सैंपलों में रेसिडुअल क्लोरीन की भी नियमित जांच के निर्देश दिए हैं. पेयजल में रेसिडुअल क्लोरीन नहीं पाए जाने का मतलब है कि जल का ट्रीटमेंट सही तरीके से नहीं किया गया है. इस तरह के जल का उपयोग पेयजल के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टरों को सैंपल लेने और उनकी जांच की प्रक्रिया की लगातार मॉनिटरिंग करने कहा है. इसके लिए हर ट्रीटमेंट प्लांट, स्टोरेज टंकी और मलिन बस्ती में रजिस्टर संधारित करने के निर्देश दिए गए हैं. पेयजल में रेसिडुअल क्लोरीन नहीं मिलने या कोलीफार्म बैक्टीरिया पाए जाने पर तत्काल आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने कहा गया है. विभाग ने सभी कलेक्टरों को बरसात में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और इसकी सतत मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के साथ ही इस संबंध में की गई कार्रवाई से शासन को एक सप्ताह में रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.
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