चंदौली. देश भर में लॉकडाउन ने सभी लोगों की कमर तोड़ दी हैं. करोड़ों लोगों के रोजागर छीन गया. गरीब आदमी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनको ठीक से रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है. कोरोना काल में दिल दहला देने वाले कई मामले सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु होने के बाद अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होने से उनका परिवार शव को घर में छोड़ कर चले गए.
यह मामला चंदौली जिले के नौगढ़ इलाके का है. रविवार को बुजुर्ग महिला के अंतिम संस्कार के लिए गरीब वनवासी परिवार के पास पैसे नहीं थे. परिवार के लोग शव छोड़कर भाग गए. बगल के गांव गंगापुर के प्रधान ने इस काम में मदद की और तब अंतिम संस्कार हो सका. चकरघट्टा थाना क्षेत्र के बजरडीहा गांव के वनवासी इलाके में काफी दिनों से बीमार चल रही सपेशरी (90) का रविवार की भोर में निधन हो गया. तीन बेटों और नाती-पोतों से भरे परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके. कोरोना कर्फ्यू में मजदूरी बंद होने से मुश्किल से दो समय के भोजन की व्यवस्था ही हो पा रही है. अंतिम संस्कार के पैसे न होने से बुजुर्ग महिला के दो बेटे लाल बरत और रमाकांत अपने पत्नी बच्चों को लेकर जंगल में चले गए.
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जब इस घटना की जानकारी पड़ोस के लोगों को हुई तो सभी लोग जानकारों को फोन करने लगे. गंगापुर गांव के प्रधान मौलाना यादव ने जब यह देखा तो लोगों से बुजुर्ग महिला के बेटों को खोजने के लिए जंगल भेजा, लेकिन काफी खोजने के बाद भी वे नहीं मिले. उन्होंने बाजार से कफन अन्य सामग्री मंगाई. इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया.
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