सत्यपाल राजपूत, रायपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की ख़बर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है. शिक्षा का अधिकार (RTE) के जरिए निजी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले गरीब परिवार के छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता दिख रहा था. प्राइवेट अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल बंद होने से शिक्षा के अधिकार पढ़ रहे बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए थे.  इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद शिक्षा अधिकारी ने संज्ञान लिया है. छात्रों को सरकारी अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिया गया है. अभिभावकों ने लल्लूराम डॉट कॉम का आभार जताया है.

RTE के छात्रों को मिला प्रवेश

ख़मतराई में संचालित लीडर्स वे इंग्लिश मीडियम स्कूल को अचानक बंद कर दिया गया था. किसी को कोई सूचित नहीं किया गया था. छात्रों के अभिभावकों ने कहा कि वहां हमारे बच्चे शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ाई कर रहे थे. इसको लेकर हमने जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग में एक ज्ञापन लेकर भटक रहे थे. कहीं सुनवाई नहीं हुई फिर लल्लूराम कॉम ने ख़बर प्रकाशित किया. उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने लिखित में दिया है कि हमारे बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में ही प्रवेश दिया जाएगा. इसके लिए हम लल्लूराम डॉट कॉम के आभारी हैं धन्यवाद देते हैं.

शिक्षा अधिकारी ने जिम्मेदारों को किया निर्देशित

वहीं अभिभावक प्रीति ने कहा कि मेरे बच्चे स्कूल में पिछले पांच साल से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पढ़ाई कर रहे थे. उसके बाद ही स्कूल बंद कर दिया गया. कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही थी, फिर लल्लूराम कॉम ने ख़बर रविवार को खबर प्रकाशित कर हमारी चिंता को दूर किया. अब हमारे बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में ही भर्ती दिया गया है. इसके लिए शिक्षा अधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया है.

जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने बताया कि स्कूल की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम ने ख़बर को प्रकाशित किया उसके बाद संज्ञान लेते हुए यहां पढ़ रहे बच्चों की सूची मंगाई गई है. साथ ही पालकों को कहा गया है कि उनके बच्चों को प्रवेश सरकारी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल जो कक्षा 1 से 8 वीं तक पहले से संचालित है. उसमें प्रवेश दिया जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

ग़ौरतलब है कि लीडर्स वे इंग्लिश मीडियम स्कूल बग़ैर किसी सूचना से बंद कर दिया गया है. पालकों से मिली जानकारी के मुताबिक़ स्कूल में 40 विद्यार्थी शिक्षा के अधिकार के तहत पड़ रहे थे और 200 से ज़्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत थे.

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