महासमुंद। जिले में गार्डन बनाने के नाम पर उद्यानिकी विभाग में लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. जहां पौधा लगाने, गार्डन घेरा करने,  कारपेट घास लगाने समेत अन्य काम के नाम पर 36 लाख रुपए खर्च कर दिये गए, लेकिन हकीकत में गार्डन में एक भी पौधे नहीं है. पूरा गार्डन उजाड़ पड़ा है. जिन्हें वह जमीन अलाट थी, उस स्व सहायता समूह की महिलाएं व जिला पंचायत सदस्य अब विभाग के अधिकारियों पर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. इस मामले में जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है. वहीं उद्यानिकी विभाग के आला अधिकारी जिला पंचायत द्वारा पूर्व में पौधे लगे होने की बात कही है.

दरअसल,  2 हेक्टेयर में 36 लाख रुपए से गार्डन बनाया गया है, जो महिला समिति द्वारा संरक्षित भूमि वृंदावन गार्डन बरोड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है. जिला पंचायत से वर्ष 2017 में इस गार्डन के निर्माण के लिए 36 लाख रुपए स्वीकृत हुए और उद्यानिकी विभाग को कार्य एजेंसी बनाया गया. वर्ष 2020 में उद्यानिकी विभाग ने ग्राम पंचायत बरोड़ा बाजार के सरपंच को उद्यान की देखभाल के लिए सौंपा.

कागजों में गार्डन में 1196 पौधे ( हरा चांदनी 190 नग, पीला चांदनी 197 नग, एकजोरा 99, छोटा गुलाब 280, बडा गुलाब 69, गुडहल 96, अनार 7, कटहल 5, नीबू 16, बाटल पाम 11, अमरुद 215, आम 11 नग) एवं 2145 वर्गमीटर में लॉन घास लगा होना बताया गया है, पर जमीनी हकीकत ये है कि गार्डन पूरा खाली है.

कुछ जगहों पर कुछ पौधों के ठूंट दिखाई दे रहे है और गार्डन के घेरा के लिए 494 सीमेंट पोल खरीदी की गई, पर 267 सीमेंट पोल ही गार्डन में लगे है. गार्डन के गेट के लिए 16150 ईंट की खरीदी करना बताया गया. गार्डन में 1000 ईंट लगी हो तो बड़ी बात है.

इसी प्रकार 40 हजार की लागत से दो हजार फीट कारपेट घास गार्डन में लगाने के लिए खर्च किया गया है. लेकिन गार्डन में कारपेट घास का नामोनिशान नहीं है. इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से हुआ है. अब मां चितावर दाई महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं व क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य जादेश्वर चंद्राकर ने उद्यानिकी विभाग पर कार्यवाही करने की मांग की है.

इस पूरे मामले में उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक एन के कुशवाहा का कहना है कि इस मामले में जिला पंचायत विभाग द्वारा जांच की जा रही है. जांच के बाद ही कुछ पता चलेगा, पर गार्डन में कार्य हुआ है. किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.

उद्यानिकी विभाग के इस गार्डन से फलदार, फूल के पौधे एवं कारपेट घास कहा गए ये किसी को पता नहीं है. अब देखना होगा कि जांच में क्या तथ्य निकलकर सामने आता है, जिसका इंतजार सभी को है.

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