आजाद सक्सेना, दंतेवाड़ा। इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे रेत में मिले मगरमच्छ के 17 बच्चों को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर नदी में छोड़ा है. दंतेवाड़ा से होकर बहने वाली इंद्रावती नदी में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मगरमच्छ के बच्चों को देखा गया है.

बताया जा रहा है कि इंद्रावती नदी के मुचनार घाट पर कुछ ग्रामीण गए हुए थे, जिन्होंने नाले में झाड़ियों के बीच में रेत में दबे हुए मगरमच्छ के बच्चों को देखा. ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन कर्मियों को दी. मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों ने लगभग 17 मगरमच्छ के बच्चों को निकाल कर उन्हें सुरक्षित इंद्रावती नदी में छोड़ दिया.

दंतेवाड़ा डीएफओ संदीप बलवा ने बताया कि इंद्रावती नदी में इससे पहले भी मगरमच्छ मिले मिले हैं, लेकिन अब तक कभी किसी इंसान को मगरमच्छ ने नुकसान नहीं पहुंचा है. पिछले साल भी सातधार में और मुचनार में दो-दो बड़े मगरमच्छ देखे गए थे. मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के 17 बच्चे को रेस्क्यू कर नदी में छोड़ा गया है.

उन्होंने बताया कि मादा मगरमच्छ प्रजनन के लिए रेतीले जगह का चयन करती हैं, जो झाड़ियों से घिरा होता है. वहां ये अंडे देती है, और 45 दिन के अंदर बच्चे अंडे से निकलते हैं. यही बच्चे नदी के किनारे आ गए थे. वहीं ग्रामीण दिनेश नाग ने बताया कि मगरमच्छ के बच्चों को मुचनार घाट में देखने के बाद उसकी जानकारी वन विभाग को दी. वन विभाग की टीम ने सभी बच्चे को सुरक्षित नदी में छोड़ दिया.

मीठे पानी का मगरमच्छ

नदियों में पाए जाने वाले मगरमच्छों को मीठे पानी का मगरमच्छ कहा जाता है. इनकी लंबाई अमूमन 8 से 10 फिट की होती है. इनके अंडे से निकले मगरमच्छ के बच्चे 6 से 7 इंच लंबे होते हैं. शुरुआती सालों में बच्चे तेज गति से विकास करते हैं. फिर 5 से 7 साल बाद इनके विकास की गति धीमी हो जाती है. इन मगरमच्छों की उम्र 80 से 100 साल तक होती है.

इंद्रावती में बढ़ रहे मगरमच्छ

जानकार बताते हैं कि इंद्रावती नदी में बोधघाट से लेकर तुमनार तक के क्षेत्र में इंद्रावती नदी में लगभग 300 से ज्यादा मगरमच्छ हैं. इस संख्या को देखते हुए वन विभाग ने इंद्रावती नदी के सातधार में मगरमच्छ ब्रीडिंग सेंटर विकसित करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. हालांकि, इसकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है.

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