मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। बुरहानपुर और बेहरामपुर के नाम में अंतर न समझ पाने के कारण एक बुजुर्ग 40 साल से बुरहानपुर में बस गया. अब चालीस साल पहले बिछड़े व्यक्ति और अब बुजुर्ग अपने परिवार से मिलने जा रहा है। रोटी बैंक की मदद से बुजुर्ग को अपना घर और परिवार वापस मिल गया। प्रशासन के सहयोग से और शहर के कपड़ा व्यापारी के प्रयास से परिवार की तलाश हो सकी।

बुजुर्ग उड़ीसा का रहने वाला है। जिसे 40 साल पहले मुंबई में कंस्ट्रक्शन का काम के लिए ठेकेदार ले गया था। रोटी बैंक के मैनेजर संजय शिंदे ने बताया कि जब ठेकेदार ने वापस इन्हें उड़ीसा के लिए ट्रेन में बैठाया तो भुसावल पहुंचे, जहां यात्रियों से पूछा बेहरामपुर कब आएगा तो लोगों ने उन्हें अगले स्टेशन बुरहानपुर में उतार दिया था।

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बुजुर्ग के पास टिकट न होने के कारण रेलवे पुलिस ने इन्हें दो दिन तक जेल में बंद कर दिया था। उस समय बुजुर्ग ने परिवार से मिलने के बहुत प्रयास किए, लेकिन इनकी उड़िया भाषा यहां कोई समझ नहीं सका। धीरे-धीरे वे यहीं पर बस गए। बुजुर्ग का नाम सिमांचल भरत महापात्र बताया जा रहा है. जो भुवनेश्वर के पास छोटे से टिकरपाड़ा कस्बे के रहने वाले हैं।

बता दें कि शुरुआती दौर में बुजुर्ग ने होटल में नौकरी की, कहीं चौकीदारी की, लेकिन समय के साथ शरीर ने काम करना छोड़ दिया. जिसके बाद से बुजुर्ग के दिन फुटपाथ पर ही कट रहे हैं। रोटी बैंक ने एक साल पहले इन्हें भोजन देना शुरू किया। तभी से रोटी बैंक के मैनेजर संजय शिंदे इनके संपर्क में रहे और लगातार इनके परिवार से मिलाने के लिए प्रयास करते रहे। अब जाकर बुजुर्ग के घर के लोगों का पता चल सका है. बुजुर्ग का परिवार लेने के लिए 13 जुलाई को बुरहानपुर पहुचेंगा. जहां से बुजुर्ग को अपने साथ घर लेकर जाएंगे। वहीं उनके साथ अब वृद्ध आश्रम में रहे बुजुर्गों को खुशी हुई कि 40 साल बाद बुजुर्ग का परिवार मिल गया।

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