सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ कुछ जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी दी है. येलो अलर्ट जारी कर बताया कि इन जिलों में गरज चमक के साथ तेज बारिश हो सकती है.
मौसम विभाग ने प्रदेश के इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. इसमें बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर व उससे लगे हुए जिलों में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ भारी बारिश और वज्रपात (आकाशीय बिजली) होने की संभावना है.
मौसम विभाग के मुताबिक, एक निम्न दाब का क्षेत्र पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे लगे उत्तर पश्चिम बंगाल, उत्तर तटीय आंध्रप्रदेश, दक्षिण तटीय ओडिसा पर स्थित है. इसके साथ उपरी हवा का चक्रवाती घेरा मध्य ट्रोपोस्फेरिक लेवल तक विस्तारित है. एक द्रोणिका कच्छ से निम्न दाब के केन्द्र तक दक्षिण गुजरात, उत्तर मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ, दक्षिण छत्तीसगढ़ और उत्तरी तटीय आंध्रप्रदेश होते हुए 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है. जिसके प्रभाव से छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है.
प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ भारी वर्षा होने तथा वज्रपात होने की संभावना है. भारी वर्षा का क्षेत्र मुख्यतः दक्षिण छत्तीसगढ़ (बस्तर) जाने की संभावना है. प्रदेश में अधिकतम तापमान में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है. वहीं बिजली गिरने से बचाव को लेकर मौसम विभाग ने लोगों को सलाह भी दी है.
आकाशीय बिजली से ऐसे करें बचाव
– यदि किसी खुले स्थान में हैैं तो तत्काल किसी पक्के मकान की शरण ले लें. खिड़की, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें.
– लोहे के पिलर वाले पुल के आसपास तो कतई नहीं जाएं.
– ऊंची इमारतों वाले क्षेत्रों में शरण नहीं लें क्योंकि वहां वज्रपात का खतरा ज्यादा होता है.
– अपनी कार आदि वाहन में हैैं तो उसी में ही रहें लेकिन बाइक से दूर हो जाएं क्योंकि उसमें पैर जमीन पर रहते हैैं.
– विद्युत सुचालक उपकरणों से दूर रहें और घर में चल रहे टीवी, फ्रिज आदि उपकरणों को बंद कर दें.
– तालाब, जलाशयों और स्विमिंग पूल से दूरी बनाएं.
– अगर खेत या जंगल में हैैं तो घने और बौने पेड़ की शरण में चले जाएं लेकिन कोशिश करें कि पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते रख लें.
– समूह में न खड़े हों बल्कि दूर-दूर खड़े हों. इसके साथ ही ध्यान दें कि आसपास बिजली या टेलीफोन के तार नहीं हों.
– वज्रपात में मृत्यु का तात्कालिक कारण हृदयाघात होता है. ऐसे में जरूरी हो तो संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा कार्डियो पल्मोनरी रेस्क्यूएशन (सीपीआर) प्रारंभ कर दें.
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