रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों के प्रसंस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 20 कृषक उत्पादक कम्पनी तथा 600 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जाएंगी. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य स्तरीय तकनीकी संस्था इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से चालू वित्तीय वर्ष के लिए यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों को अपने-अपने जिले में कृषक उत्पादक कम्पनी गठित करने के निर्देश दिये गये हैं. इन कम्पनियों को नाबार्ड एवं लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ की ओर से शेयर पूंजी अनुदान एवं ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों, विभागाध्यक्षों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुखों के साथ वर्चुअल बैठक कर योजना के क्रियान्वयन के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया.
कुलपति डॉ पाटील ने कहा, कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया, कांकेर और गरियाबंद द्वारा कृषक कम्पनियों की स्थापना की गई है. जहां विभिन्न कृषि उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है. कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा कोरिया एग्रोप्रोड्यूसर नामक कम्पनी बनाई गई है जो 22 कृषि आधारित उत्पादों का निर्माण, प्रसंस्करण एवं विपण कर रही है. 573 कृषक सदस्यों वाली इस कम्पनी ने इस वर्ष 42 लाख रूपये का व्यवसाय किया है.
इसी प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बिकापुर, महासमुंद, राजनांदगांव, कबीरधाम, गरियाबंद तथा कांकेर ने कृषक कम्पनी, स्व-सहायता समूह, सहकारी समिति आदि का गठन किया गया है. जहां किसान अपनी फसलों एवं अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण एवं विपण कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे. समस्त कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुखों को निर्देश दिए कि वे जिले के प्रमुख कृषि उत्पादन को ध्यान में रखते हुए प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने हेतु कार्य करें. बैठक में निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त स्नातकों को कृषि उत्पादक कम्पनी अथवा निजी कम्पनी बनाकर कृषि संबंधित व्यवसाय करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा.
बता दें कि देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित नई इकाईयों की स्थापना एवं पुरानी इकाईयों के सुदृढ़ीकरण के लिए अगले पांच वर्षो के लिए 10 हजार करोड़ रूपए लागत की एक परियोजना प्रारंभ की गई है. इस परियोजना के अन्तर्गत नई खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना अथवा पूर्व से संचालित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के विस्तार के लिए भारत सरकार द्वारा लागत की 35 प्रतिशत (अधिकतम 10 लाख रूपए) राशि का अनुदान दिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य स्तरीय तकनीकी संस्था के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को नामित किया गया है.
परियोजना के अन्तर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र जगदलपुर में खाद्य प्रसंस्करण के लिए पौने तीन करोड़ रूपए लागत वाले इन्क्यूबेशन सेन्टर भी स्थापित किए जाएंगे. जहां छोटे व्यवसायियों, उद्यमियों, कृषक संगठनों एवं स्व-सहायता समूहों को खाद्य प्रसंस्करण संबंधित आवश्यक अधोसंरचनाएं, मशीनरी, एवं बुनियादी सुवधिाएं मुहैया कराई जाएंगी.
केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के सभी 28 जिलों के लिए एक-एक उत्पाद का चयन किया गया है. इनमें चावल के प्रसंस्कृत उत्पाद, फलों एवं सब्जियों के प्रसंस्कृत उत्पाद (आम, पपीता, टमाटर, सीताफल, काजू, लीची), लघु वनोपज, मसाला फसलों के प्रसंस्कृत उत्पाद (अदरक, हल्दी, इमली, कोदो, कुटकी), चाय, गुड़, मछली एवं डेयरी उत्पाद शामिल हैं. इन उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण उद्योग लगाने के हेतु उद्यमियों को अधिकतम 10 लाख रूपए तक (35 प्रतिशत) अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा. परियोजना लागत की 10 प्रतिशत राशि उद्यमी को लगानी होगी तथा शेष राशि बैंक लोन के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी. योजना का लाभ निज उद्यमी, समूह, सहकारी संस्थान, कृषक संगठन, स्व-सहायता समूह आदि ले सकते हैं. योजना के तहत उद्यमी जिला उद्योग केन्द्र में आवेदन कर सकेंगे. आवेदनों की जांच के पश्चात उपयुक्त पाए गए. आवेदन राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सी.एस.आई.डी.सी.) को भेजे जाएंगे.
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