लखनऊ। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी अपने तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान दूसरे दिन आज पसगवां के दौरे पर रहेंगी. इस दौरान ब्लॉक प्रमुख पद के नामांकन के दौरान बदसलूकी का शिकार हुईं महिला प्रत्याशी और प्रस्तावक से मुलाकात करेंगी. दोनों पीड़ित महिलाएं पसगवां थाना क्षेत्र के रहने वाली हैं.

बता दें कि लगभग डेढ़ साल बाद लखनऊ पहुंची प्रियंका गांधी जीपीओ में गांधी प्रतिमा के नीचे अप्रत्याशित तरीके से मौन व्रत धारण करते हुए धरने पर बैठ गईं. अपनी नेता का धरने पर बैठना था कि पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. लखनऊ के जीपीओ में महात्मा गांधी प्रतिमा पर माल्यापर्ण करने के बाद प्रियंका गांधी दो घंटे के लिए स्थल पर मौन धारण बैठ पंचायत चुनाव में कथित धांधली को लेकर विरोध जताया था. मौन समाप्ति के बाद प्रियंका गांधी योगी सरकार पर जमकर बरसी. उन्होंने कहा कि संविधान व लोकतंत्र का चीरहरण हो रहा है, और हम लोकतंत्र बचाने आए हैं. जनता के पक्ष में बात करने आए हैं.

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद शाम 5.30 बजे कांग्रेस मुख्यालय पहुंची प्रियंका गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कल दो बातें कहीं. पहला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोरोना की दूसरी लहर में बहुत अच्छा काम करने का प्रमाण पत्र दिया और यह भी कहा कि यूपी में अब विकासवाद है. यह कैसा विकासवाद है जब कोरोना की दूसरी लहर थी तब पंचायत चुनाव करवाए गए. उस समय कितनी ज्यादा मौतें हो गईं. कैसी व्यवस्था थी, आप जानते हैं. लेकिन आपने चुनाव कराए क्योंकि आपको लगा था कि परिणाम आपके पक्ष मे आएगा.

लेकिन परिणाम आपकी इच्छानुसार नहीं आए. जब जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव हुए तो आपने हिंसा फैला दी. प्रशासन व पुलिस उम्मीदवार का अपरहण कर रहे हैं, महिलाओं के वस्त्र खींच रहे हैं, कहीं बम फट रहे हैं, गोलियां चल रही हैं. क्या सोच रहे थे आप कि जनता चुप रहेगी? कोई कुछ नहीं करेगा? संविधान और लोकतंत्र पर वार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को दिख नहीं रहा है कि यूपी में महिलाएं असुरक्षित हैं.

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अपने कार्यक्रमों से चौंकाती रही हैं प्रियंका

इससे पहले भी प्रियंका अपने तय कार्यकम को बदल प्रशासन को चकमा देती रही हैं. इससे पहले दिसम्बर 2019 में वो मुख्यालय पर बैठक करने की बजाय एक रेप पीड़िता की मौत के बाद उन्नाव चली गई. इसी तरह सामाजिक कार्यकर्ता एसआर दारापुरी से मिलने से प्रशासन ने उन्हें लखनऊ के लोहिया पथ पर उन्हें रोका तो कुछ देर तक वह पैदल चली, लेकिन फिर वह पुलिस प्रशासन को चकमा देते हुए अपने कार्यकर्ता की स्कूटी के पीछे बैठकर दारापुरी से मिलने पहुंच गई थीं.