शिवम मिश्रा, रायपुर. कहते हैं इंसान को जिस तरह रोटी, कपड़ा और मकान जरूरी है, उसी तरह आज शिक्षा जरूरी हो गई है. शिक्षा है तो सब है. शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं. शिक्षा एक ऐसा खजाना है, जो कभी खत्म नहीं होती और इसी अकूत दौलत को छत्तीसगढ़ के ग्राम परसा में अदाणी फॉउंडेशन बस बांटता जा रहा है. गांव के आदिवासी बच्चों से लेकर समाज के हर एक वर्ग तक पहुंचा रहा है. कोल खनन का काम संभाल रहें अदाणी फॉउंडेशन के सफल प्रयासों ने आदिवासी इलाके की तस्वीर ही बदल दी. अदाणी फॉउंडेशन के सहयोग से कौशल विकास केंद्र से आज हजारों लोग न सिर्फ प्रशिक्षित हो रहें है. बल्कि स्वरोजगार की ओर भी बढ़ रहें है.
ग्राम परसा के कौशल विकास केंद्र से गांव के हजारों आदिवासियों को जीवन-यापन कर अपने सपनों को साकार करने की एक उम्मीद नजर आ रही है. अदाणी फॉउंडेशन के सहयोग से साल 2018 में इसकी शुरुवात हुई. जहां टेक्निकल और नॉन टेक्निकल के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है. जहां बेसिक फंक्शन इंग्लिश, डिजिटल लिट्रेसी, स्विंग मशीन ऑपरेटिंग और हॉस्पिटैलिटी के फूड और बेवरेज सर्विसेस की ट्रेनिंग दी जा रही है. सरगुजा के कौशल विकास केंद्र से ग्रामीणों के जीवन मे ना उम्मीदी के बीच उम्मीद की किरण नजर आने लगी है.
ग्राम परसा के साढ़े 3 हजार से अधिक ग्रामीणों को ट्रेनिंग दी जा रही है. जहां अब तक 1 हजार से अधिक ग्रामीण रोजगार पाकर अपना सपना साकार कर रहें है. परसा के ग्रामीण शिक्षा की दौलत से अपनी किस्मत को धुंध अंधेरी रात से रौशनी की ओर ले जा रहें है और ग्रामीणों को ये सपने अदाणी फॉउंडेशन दिखा रहा है. जो पिछले कई वर्षों से शिक्षा का हीरा बांट रहा है. छात्रों को अपने कौशल विकास केंद्र से सपनों की उड़ान दे रहा है, जो प्रदेश और देश अलग-अलग हिस्सों में जाकर नाम कमा रहे हैं. रोजगार पा रहे हैं और अपना जीवन यापन कर रहे हैं.