सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2 अगस्त से प्रदेश में स्कूल खोलने का फैसला किया है. स्कूल में 50 फीसदी छात्रों की उपस्थिति रहेगी. वहीं प्राथमिक और मिडिल स्कूल खोलने का फैसला शाला विकास समिति करेगी. राज्य सरकार के इस निर्णय को लेकर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. कई लोगों ने विरोध किया तो कई ने इसका स्वागत किया. शिक्षाविदों ने कहा कि स्कूल खोलना बच्चों के लिए फ़ायदेमंद रहेगा, लेकिन इस दौरान सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा गया तो बड़ा खतरा हो सकता है. वहीं कुछ पालकों ने कहा कि तीसरी लहर के मद्देनज़र ये घातक हो सकता है.

पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने कहा कि यह फ़ैसला प्रायवेट स्कूल के दबाव में लिया गया है. उन्हें फ़ीस वसूलने का अवसर दिया गया है. इससे विद्यार्थियों को जान का ख़तरा होगा, क्योंकि ये तमाम रिसर्चरों में कहा गया है कि थर्ड वेब अगस्त में आएगा. थोड़ी सी चूक पालकों को भारी पड़ सकता है.

पिछले सत्र में भी स्कूल बंद था और लगातार दबाव के बीच सरकार ने स्कूल खोला. नतीजा ये रहा कि सैकड़ों बच्चे कोरोना संक्रमित हुए, फिर सरकार ने आनन फ़ानन में दो सप्ताह में ही स्कूल को बंद किया. इस बीच निजी स्कूलों ने दबाव पूर्वक मनमाने ढंग से फ़ीस के नाम पर वसूली किया. वहीं अवसर एक बार फिर दिया गया है.

वहीं निजी स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार को स्कूल इससे पहले खोलना चाहिए था. देर से सही स्कूल खोला गया है यह स्वागत योग्य है. स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा जाएगा, कोरोना एडवाइजरी का पूरा पालन कराया जाएगा.

बता दें कि पिछले साल भी स्कूल खोला गया था लेकिन कुछ दिनों में ही बंद करना पड़ा. अब एक बार फिर सरकार ने निर्णय लिया है. कक्षा 10वीं और 12वीं की कक्षाएं 2 अगस्त 2021 से शुरू होंगी.

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