पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। वनोपजों का स्थानीय स्तर पर सदुपुयोग कराने वन अमला वनधन केंद्र स्थापित करवा रही है. 6 माह बाद देवभोग में भी वन धन केंद्र शुरू हो जाएगा. भवन का काम अंतिम चरण पर है. केंद्र शुरू होने से पहला लघु वनोपज संघ द्वारा केंद्र का संचालन करने वाले महिला समूहों को पूरी तरह उत्पाद के प्रसंस्करण कार्य में पारंगत करवा रही है. वन विभाग द्वारा नियुक्त ट्रेनर शौरभ सिंह, अजय सिंह ,मिलन और जयंती द्वारा आई आई टी कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूवेशन एंड इनोवेशन सेंटर के कंसल्टेंट अंशु कुमार के नेतृत्व में समूहों को हर वह गुर सिखाया जा रहा, जिनकी उन्हें आवश्यकता पड़ेगी.
बस्तर के उत्पादों का लगाया स्टॉल
बस्तर में महुआ, शहद, काजू एवं जड़ी बूटियों से तैयार 50 प्रकार से भी ज्यादा वनोपज उत्पाद का स्टॉल देवभोग के बाजार में लगाया जा रहा है. ज्यादातर उत्पाद स्वास्थ्य वर्धक व रोग निवारण के है. सौंदर्य प्रशाधन व अन्य उपयोगी सामग्री भी बिक रहे है. स्टॉल में लोगों की भीड़ जुट भी जुट रही. लोग उत्पाद को पसंद भी कर रहे हैं.
अंशु कुमार ने बताया कि यह स्टॉल लगा कर हम हर्बल प्रोडक्ट्स उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. आने वाले दिनों में जल्द ही स्थानीय वन धन केंद्र में यह उपलब्ध भी होगा यह भी मेसेज दिया जा रहा है. स्टॉल में महिला समूह के सदस्य भी मौजूद रह कर बाजार को समझने की कोशिश कर रही हैं.
50 से ज्यादा समूह को सिखाया जा रहा है गुर
कंसल्टेंट अंशु कुमार ने बताया कि देवभोग में संचालित होने जा रहे वन धन केंद्र में 50 से भी ज्यादा समूह के 500 सदस्यों को रोजगार उपलब्ध होगा. केंद्र संचालन में मशीन ऑपरेटिंग से लेकर वनोपज संग्रहण, एमएसपी दर पर उसकी खरीददारी से लेकर केंद्र तक पहूचाने में अलग अलग समूह का योगदान होगा. काम के अनुरूप भूमिका के आधार पर अलग अलग समूह को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. देवभोग परिक्षेत्र में मौजूद सभी लघुवनोपज संस्था क्षेत्र में यह समूह सक्रिय होकर काम करेंगी.
संस्था ने खरीदे डेढ़ करोड़ की चिरौंजी
समर्थन मूल्य में इस बार लघु वनोपज संस्था ने देवभोग परिक्षेत्र से 2 हजार क्विंटल चिरौंजी की खरीदी किया है. सरकारी खरीदी से ही यह बात सामने आई कि बस्तर के बाद देवभोग में भी चिरौंजी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. 5 से 8 हजार क्विंटल लाख तो 5 हजार क्विंटल से भी ज्यादा नीम के बीज का उत्पादन है. इस वनोपज का उपयोग व महिला समूह वन धन केंद्र में करेंगी.
डीएफओ मयंक अग्रवाल ने कहा कि इससे पहले तक यह उत्पाद बिचौलिए व कारोबारियों के माध्यम से बाहर जाता था. संग्रहकों को इसके उचित कीमत नहीं मिल रहे थे. अब समूह को इसका दोहरा फायदा मिलेगा. तय प्रारूप के मुताबिक शुरुआत में ही उत्पाद का कारोबार 5 करोड़ सालाना टर्न ओवर होगा.
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