दिल्ली. टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) के दूसरे दिन भारत को पहला मैडल मिल गया और ओलंपिक में भारत का खाता खुल गया है. वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम कैटेगिरी में ये सिल्वर मैडल हासिल किया है.

जानें कौन है मीरा बाई चानू…

अंतर्राष्ट्रीय पोडियम तक पहुंचने का वेटलिफ्टर साईखोम मीराबाई चानू का सफर बेहद शानदार रहा है. यह उनके संघर्ष और लगन की दास्तां बयां करता है. स्कॉटलैंड में हुए 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीतकर मिराबाई चानू ने 20 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई.

रियो 2016 ओलंपिक के लिए नेशनल ट्रायल में मीराबाई चानू ने सात बार की विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता कुंजारानी देवी के 12 साल पुराने नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ा. इसी के साथ उन्होंने ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय दल में अपनी जगह पक्की की.

8 अगस्त 1994 को जन्मी और मणिपुर के एक छोटे से गाँव में पली बढ़ी मीराबाई बचपन से ही काफ़ी हुनरमंद थीं. बिना ख़ास सुविधाओं वाला उनका गांव इंफ़ाल से कोई 200 किलोमीटर दूर था. मणिपुर की ही महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं. बस वही दृश्य छोटी मीरा के ज़हन में बस गया और छह भाई-बहनों में सबसे छोटी मीराबाई ने वेटलिफ़्टर बनने की ठान ली. मीरा की ज़िद के आगे माँ-बाप को भी हार माननी पड़ी. 2007 में जब प्रैक्टिस शुरु की तो पहले-पहल उनके पास लोहे का बार नहीं था तो वो बाँस से ही प्रैक्टिस किया करती थीं.

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गाँव में ट्रेनिंग सेंटर नहीं था तो 50-60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाया करती थीं. डाइट में रोज़ाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए वो मुमकिन न था. उन्होंने इसे भी आड़े नहीं आने दिया.

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क्लीन एंड जर्क में 115 किलो वजन उठा सकीं मीराबाई

अब बारी क्लीन एंड जर्क की थी और इस राउंड की शुरुआत मीराबाई चानू ने 110 किलो वजन उठाकर की. उन्होंने दूसरे प्रय़ास में 115 किलो वजन उठाया. वहीं तीसरे प्रयास में 117 किलो वजन उठाने में नाकाम रहीं. दूसरी ओर चीनी वेटलिफ्टर ने क्लीन एंड जर्क में 116 किलो का भार उठाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया.