रायपुर. कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया के छत्तीसगढ़ के ताबड़तोड़ दौरों ने सियासी गलियारों का तापमान बढ़ा दिया है. अजीत जोगी और कांग्रेस के बीच सुलह की उम्मीदों के खत्म होने के साथ दोनों पक्षों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक अमित जोगी ने कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया पर जवाबी हमला करते हुए उन्हें भूगोल के साथ-साथ इतिहास का ज्ञान भी दुरुस्त रखने की सलाह दी.

अमित जोगी ने बयान जारी कर पुनिया से सवाल पूछा कि उनके अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान प्रदेश के अनुसूचित जाति के लोगों ने उनके सामने दो मांगें रखी थी. पहली मांग थी कि यूपीए सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के आरक्षण को 16 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने के निर्णय के विरूद्ध अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के तौर पर वे निर्णय का विरोध करते हुए अनुशंसा करें. दूसरी मांग थी कि वर्तमान में चमार और सतनामी जातियों को अनुसूची में एक साथ एक ही क्रम में न दर्शाया जाय. ऐसा होने से राज्य के सतनामी समाज की भावनाएं आहत होती हैं. वह अनुसूची में सतनामी और चमार जातियों को अलग-अलग दर्शाए जाने की मांग कर रहे थे.

अमित जोगी ने पुनिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष रहने के दौरान प्रदेश के अनुसूचित जाति के सैकड़ों प्रतिनिधिमंडल उनसे अपनी वाजिब मांगों को लेकर कई बार मिले लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी. अपने कार्यकाल में पुनिया ने आयोग की तरफ से पांच रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी लेकिन उनमें से किसी में भी राज्य के लोगों की इन दो मांगों का जिक्र तक अपनी रिपोर्ट में पुनिया ने नहीं किया. सख्त लहजे में आरोप लगाते हुए जोगी ने कहा कि पुनिया दिल्ली का इतिहास भूलकर केवल छत्तीसगढ़ का भूगोल पढ़ रहे हैं. पुनिया पर चुटकी लेते हुए जोगी ने कहा कि इस तरह अगर पुनिया ने तैयारी की तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की परीक्षा में उनके नंबर बेहद कम आएंगे. उन्होंने कहा कि पुनिया छत्तीसगढ़ का दौरा जरूर करें लेकिन प्रदेश की अनुसूचित जाति के लोग उनसे जवाब चाहते हैं. पुनिया ने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए प्रदेश के अनुसूचित वर्ग के लोगों की जायज मांगों को क्यों अनसुना कर दिया. तब उन्हें प्रदेश के अनुसूचित वर्ग के लोगों की चिंता नहीं हुई तो अब किस मुंह से आदिवासी समाज के कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं. अमित जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति के लोग अब समझ चुके हैं कि कांग्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश से आउटसोर्स किए गए अनुसूचित जाति के नेता सिर्फ राज्य के लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. उनका न तो जनता से कोई लगाव है और न ही राज्य की जनता से कोई वास्ता है.