नई दिल्ली। मुस्लिमों में चलने वाला ट्रिपल तलाक धर्म का हिस्सा है या नहीं इस पर 10 दिनों तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. शुक्रवार को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र हर तरह के ट्रिपल तलाक के खिलाफ है और वो बहुविवाह के साथ-साथ हर मुद्दे पर लैंगिग समानता चाहता है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तीखी प्रक्रिया देते हुए कहा कि तीन तलाक इस्लाम में शादी खत्म करने का सबसे खराब और शर्मनाक तरीका है.
मुख्य न्यायधीश जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 बेंचो की पीठ ने इस मामले के अलावा 7 याचिकाओं में सुनवाई कर रही है जिसमें से 5 मुस्लिम महिलाओं ने बहुविवाह, निकाह हलाला और तीन तलाक के खिलाफ दायर की है.
इससे पहले गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम समुदाय से पूछा कि क्या तीन तलाक का कोई विकल्प मौजूद है या नहीं. वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि तीन तलाक एक तरफा है, क्योंकि इसका अधिकार सिर्फ मर्दों के पास है और औरतों को यह हक नहीं है. जेठमलानी का कहना था कि यह नियम अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है. एएसजी मेहता ने कहा कि पीएम ने भी हाल ही में मुस्लिम समुदाय से इस समस्या का हल निकालने की अपील की थी.
मुस्मिल महिलाओं के संगठनों ने भी इसे एक तरफा माने हुए कहा कि यह नियम महिला विरोधी है, जिसको खत्म किया जाना चाहिए. इसके अपनाने से महिलाओं के साथ शोषण और भेदभाव हो रहा है.
इससे पहले सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस पर कदम उठाए कि ट्रिपल तलाक घिनौना कृत्य है लेकिन ये अब तक वैध्य है.