रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिस तरह से कोरोना काल के शुरुआती दिनों से कांग्रेस सरकार का एकमात्र लक्ष्य कोरोना के इलाज के नाम पर नियमों को ताक में रखकर सरकारी अस्पतालों में दवाईयां और कोविड उपचार के लिए सामग्री खरीदना रहा है. जिसे लेकर हम सड़क से लेकर सदन तक अपनी बातें कहते रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब तो यह स्पष्ट होने लगा है कि जिस तरह से जशपुर के सरकारी अस्पताल में करीब 12 करोड़ रुपए के चिकित्सा सामग्री घोटाले का मामला सामने आया है. इससे पूरे प्रदेश में यही बात जन चर्चा में है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई है, तब से वह भ्रष्टाचार को शिष्टाचार का स्वरूप देकर केवल कमीशनखोरी में व्यस्त है. छत्तीसगढ़ से कमीशन का यह पैसा कहां जा रहा है यह सबको पता है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से जशपुर में घोटाला सामने आया है. उस तरह के घोटाले प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में लगातार हो रहे है. नियम विरूद्ध चिकित्सा सामग्री के खरीदी बिक्री के लिए एक गिरोह काम कर रहा है. जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय का पूरा समर्थन है. भंडार क्रय नियम का पालन नहीं हो रहा है. सामग्री आपूर्ति के लिए नियम विरूद्ध फैसले लिए जा रहे है. इसकी विधिवत सूचना भी नहीं दी जा रही है.

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि जशपुर सरकारी चिकित्सालय में हुए भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए केवल मात्र कुछ लोगों पर निलंबन की कार्रवाई की गई है. यह केवल दिखावा है. प्रदेश की सरकार जरा भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के संकल्प के साथ काम रही होगी, तो प्रदेश के सभी अस्पतालों में हुए घोटाले की जांच के लिए कमेटी बनाकर बिन्दुवार जांच करें. दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय क्रय समिति द्वारा कोरोना के लिए आवश्यक दवाईयां व सामग्रियां खरीदी गई थी, चूंकि इस समिति को केवल मात्र दवा खरीदी के लिए सुझाव देने का अधिकार था. लेकिन नियम विरूद्ध जाकर दवाईयों की खरीदी कर कुछ व्यक्ति विशेषों को लाभ पहुंचाई गई है. जिसका खुलासा पार्टी के सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ द्वारा किए जाने पर सिविल लाईन स्थित कार्यालय को बंद कर दिया गया है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कमोबेश स्वास्थ्य विभाग के साथ ही साथ प्रदेश के हर विभाग में बिना क्रय नियमों के पालन किए ही सामग्री खरीदी की जा रही है. जिसमें भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. इन मुद्दों पर प्रदेश सरकार कहीं भी स्पष्ट जवाब नहीं दे रही है. पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करनी चाहिए.

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