भारतीय धावक मिल्खा सिंह ने खेल की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई थी. उन्होंने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया था, लेकिन अधूरे सपने के साथ जिंदगी को अलविदा कह गए. मिल्खा सिंह कहते थे, ”सारी दुनिया ये उम्मीदें लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ मिल्खा ही जीतेगा. मैं अपनी गलती की वजह से मेडल नहीं जीत सका. मैं इतने सालों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा इंडियन वो कारनामा कर दिखाए, जिसे करते-करते मैं चूक गया था, लेकिन कोई एथलीट ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाया.” अब मिल्खा सिंह के अधूरे सपने को टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज चोपड़ा ने पूरे कर दिए हैं. भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने भारत को टोक्यो ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक दिलाया.

 

मिल्खा सिंह कहते थे कि अगर रोम ओलंपिक में वह मेडल जीत जाते तो आज देश में जमैका की तरह हर घर से एथलीट्स निकलते. वह रोम में मेडल जीतने से नहीं चूके, बल्कि इस देश को रोल मॉडल और सपने देने से चूक गए थे. मिल्खा सिंह कहते थे, मैं इतने सालों से इंतजार कर रहा, लेकिन मेरा इंतजार खत्म नहीं हुआ. अब उनके जाने के बाद नीरज चोपड़ा ने स्टार भाला फेंक (जैवलिन थ्रोअर) शनिवार को फाइनल मुकाबले में धमाकेदार शुरुआत की. उन्होंने पहले प्रयास में 87.03 मीटर का थ्रो किया. दूसरे प्रयास में और शानदार थ्रो किया. उन्होंने 87.58 मीटर दूर भाला फेंका.

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बता दें कि भाला फेंक में 23 वर्षीय नीरज ने ओलंपिक स्टेडियम में ग्रुप ए क्वालीफिकेशन राउंड के अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो किया. इस थ्रो से नीरज ने 83.50 मीटर के ऑटोमेटिक क्वालीफाइंग अंक को हासिल किया था. नीरज ने जर्मनी के जोहानेस वेटेर को पीछे छोड़ा था जो स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. जोहानेस ने भी हालांकि, 85.64 मीटर का थ्रो कर ऑटोमेटिक क्वालीफिकेशन हासिल किया था. यह भी बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में भारत 7 मेडल जीत रिकार्ड दर्ज कर लिया है.

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